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ट्रंप का ‘टैरिफ वॉर’ भारत के लिए आपदा में अवसर? नीति आयोग के पूर्व CEO ने बताया क्या हो अगला कदम

Donald Trump Tariff Hypocrisy: भारत ने भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाने के अमेरिका के कदम को बुधवार को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण” करार दिया.

ट्रंप का ‘टैरिफ वॉर’ भारत के लिए आपदा में अवसर? नीति आयोग के पूर्व CEO ने बताया क्या हो अगला कदम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 6 अगस्त को रूस से तेल खरीद जारी रखने के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. ट्रंप ने इसको लेकर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए और यह अतिरिक्त टैरिफ 21 दिन में लागू हो जाएगा. इसके साथ ही भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में लगने वाला टैरिफ अब बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा. ट्रंप के इस टैरिफ वॉर पर भारत ने कड़ा जवाब दिया है और इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण” करार देते हुए कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा. इस बीच नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने कहा है कि ट्रंप का यह टैरिफ वॉर भारत के लिए आपदा में एक अवसर की तरह है.

G20 साउथ अफ्रीका में भारत के शेरपा भी रह चुके अमिताभ कांत ने एक ट्वीट में लिखा है, "ट्रंप ने हमें सुधारों की दिशा में अगली बड़ी छलांग लगाने का पीढ़ी में एक बार मिलने वाला अवसर दिया है. इस संकट का पूरा उपयोग करना चाहिए."

ट्रंप के आदेश में क्या कहा गया है?

आदेश में ट्रंप ने कहा, ''मुझे लगता है कि भारत सरकार इस समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रूसी संघ से तेल आयात कर रही है. इसलिए, और लागू कानून के मुताबिक, अमेरिका के सीमा शुल्क क्षेत्र में आयातित भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत की अतिरिक्त शुल्क दर लागू होगी.''

ट्रंप ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह रूस से तेल एवं गैस खरीदने के लिए भारत पर 24 घंटे में भारी शुल्क की घोषणा करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस इस तेल बिक्री से हासिल राशि का इस्तेमाल कर रहा है जबकि भारत सस्ता तेल पाने के लिए इस पहलू पर ध्यान नहीं दे रहा है.

ट्रंप ने 30 जुलाई को भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क की घोषणा करते समय भी कहा था कि वह रूस से तेल एवं गैस खरीदने की वजह से भारत पर अलग से जुर्माना लगाएंगे.

गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 88 प्रतिशत कच्चा तेल विदेश से खरीदता है. भारत 2021 तक आयातित कुल कच्चे तेल का मुश्किल से 0.2 प्रतिशत ही रूस से खरीदता था. लेकिन रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. भारत ने जुलाई में प्रतिदिन लगभग 50 लाख बैरल तेल का आयात किया, जिसमें से 16 लाख बैरल रूस से आया.

नए शुल्क के बाद, अमेरिका में भारत एवं ब्राजील के उत्पादों पर सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क लगेगा. ऐसे में भारत के प्रतिस्पर्धी देश अमेरिकी बाजार में बेहतर स्थिति में होंगे, क्योंकि उनका शुल्क कम है. अमेरिका ने म्यांमार पर 40 प्रतिशत, थाईलैंड और कंबोडिया पर 36 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, चीन और श्रीलंका पर 30 प्रतिशत, मलेशिया पर 25 प्रतिशत, फिलीपींस और वियतनाम पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया है.

यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिकी दल प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर छठे दौर की बातचीत के लिए 25 अगस्त को भारत आने वाला है. 

भारत को झटका

जिन क्षेत्रों को इन शुल्कों से नुकसान होगा, उनमें कपड़ा/ परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, और बिजली तथा यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं. हालांकि दवा, ऊर्जा उत्पादों (कच्चा तेल, परिष्कृत ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली) महत्वपूर्ण खनिज और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अर्धचालकों की एक विस्तृत श्रृंखला पर ये शुल्क लागू नहीं होंगे.

निर्यातकों के अनुसार इस कदम से अमेरिका को भारत के 86 अरब डॉलर के निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ''यह बेहद चौंकाने वाला कदम है। इससे अमेरिका को भारत के 55 प्रतिशत निर्यात पर असर पड़ेगा.''

इस घोषणा को प्रस्तावित बीटीए में अमेरिकी मांगों के पक्ष में नयी दिल्ली पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, कृषि उत्पादों, डेयरी उत्पादों, सेब और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर शुल्क में रियायत की मांग कर रहा है.

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