
अमेरिका ने भारत पर 27 फीसदी का टैरिफ लगाने की घोषणा की है.अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी सामान पर भारत अधिक शुल्क वसूल करता है. उनका कहना है कि व्यापार घाटे को कम करने और मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना पड़ा है. भारत के उद्योग संगठनों का कहना है कि ट्रंप की इस घोषणा का असर बहुत अधिक नहीं पड़ने वाला है. इन संगठनों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' की नीतियों की वजह से टैरिफ से उबर जाएगा.
एक प्राइवेट रिसर्च संस्था बर्नस्टीन का कहना है कि भारत टैरिफ की चुनौतियों से बहुत आसानी से निपट लेगा. बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अमेरिका के साथ विवाद बढ़ाने की जगह बातचीत के जरिए समस्याओं को सुलझाएगा. हालांकि शुरुआत में बाजार में कुछ नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है, लेकिन उम्मीद है कि साल के दूसरे छमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार आए.
ट्रंप के टैरिफ पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा है कि भारत का मजबूत घरेलू निर्माण और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे रणनीतिक नीतियों की वजह से मिल रही सरकारी सहायता देश के आर्थिक लचीलापन को बनाए रखने में मदद करेगी.
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा है कि भारत टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में अधिक आत्ममुखी है.
भारत कैसे उठा सकता है फायदा
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि ट्रंप का कई एशियाई और यूरोपीय देशों, जिनमें चीन, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड और बांग्लादेश शामिल हैं पर हाई रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला भारत को वैश्विक व्यापार और निर्माण में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका दे सकता है.उन्होंने कहा कि स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटो-संबंधी वस्तुओं के भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी शुल्क लगेगा, जबकि फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, तांबा और ऊर्जा उत्पादों पर कर नहीं लगाया जाएगा.
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, क्योंकि अन्य देशों की तुलना में भारत पर लगाया गया टैरिफ कम है. इन देशों में बांग्लादेश (37 फीसदी), चीन (54 फीसदी), वियतनाम (46 फीसदी) और थाइलैंड (36 फीसदी) शामिल हैं. इन देशों को बढ़े हुए शुल्क का सामना करना पड़ रहा है.
भारत अमेरिका व्यापार
वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 फीसदी, आयात में 6.22 फीसदी और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 फीसदी है. अमेरिका के साथ भारत का 2023-24 में माल के मामले में व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर है. यह 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर था.
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