प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में हरियाणा से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की थी. राज्य के चिकित्सा सिविल सेवा संघ ने एक भाजपा विधायक पर आरोप लगाया है कि एक लिंग निर्धारण घोटाले में उन आरोपियों को बचाने के प्रयास में एक सिविल सर्जन को निलंबित कर दिया गया. डॉक्टरों की मांग है कि कैथल के सिविल सर्जन डॉ. जय भगवान को बहाल किया जाए.
उन्होंने आगे कहा है कि यदि एमएल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो वे पीसीपीएनडीटी अधिनियम (PCPNDT Act) जो जन्म से पहले भ्रूण के लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगाते हैं के तहत नैदानिक प्रयोगशालाओं (Diagnostic labs) और अस्पतालों पर कोई और छापे नहीं डालेंगे.
बीजेपी विधायक लीला राम द्वारा गृह मंत्री अनिल विज को स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद डॉ. भगवान को पिछले सप्ताह निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने डॉक्टर पर लोगों और जनप्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था और आउटसोर्स कर्मियों को काम पर रखने में विसंगतियों को चिह्नित किया था.
आरोप है कि यह शिकायत पत्र उन दिनों के बाद भेजा गया जब डॉ. जय भगवान पर कथित तौर पर दबाव बनाया गया था कि वे लिंग निर्धारण परीक्षणों का संचालन करने वाले एक प्रतिष्ठान पर छापा न डालें जिससे तीन लोगों की गिरफ्तारी हो. इस संबंध में एक मामला 20 सितंबर को दायर किया गया था.
डॉक्टरों के निकाय द्वारा मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत दी गई है, "विधायक लीला राम गुर्जर ने टीम पर छापा मारने और तुरंत छोड़ने का दबाव बनाया. जब टीम ने अपना छापा जारी रखा, तो विधायक ने धमकी दी कि टीम को परिणाम भुगतना होगा. अब डॉ. जय भगवान को फर्जी आरोपों के तहत निलंबित कर दिया गया है."
पत्र में 20 सितंबर को छापा मारे गए सेंटर का नाम भी लिखा और जो डॉक्टर लिंग-विरोधी निरोध कानून के तहत पकड़ा गया था उसका नाम और साथ ही विधायक की निंदा भी की गई है.
हरियाणा मेडिकल सिविल सर्विसेज एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, “भाजपा के विधायक प्रतिशोध की राजनीति का सहारा ले रहे हैं. हम चाहते हैं कि सरकार डॉ. जय भगवान के निलंबन को रद्द करे. अगर सरकार तेजी से कार्रवाई नहीं करती है तो हम लिंग निर्धारण केंद्रों पर छापा मार कर अपने जीवन को खतरे में नहीं डालेंगे...अगर यह (निलंबन) बालिकाओं को बचाने के लिए मिलने वाला प्रतिफल है तो हम कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे ...जनप्रतिनिधि इन केंद्रों पर छापा क्यों नहीं मारते? ''
एक अन्य सदस्य ने पूछा, “एक ओर प्रधानमंत्री ने हमें बालिकाओं को बचाने के लिए आग्रह किया, दूसरी ओर छापे नहीं करने के लिए दबाव डाला जा रहा हैं. हम इससे क्या बनाना चाहते हैं? ”
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