GROUND REPORT: धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए डिजिटल सर्वे शुरू, स्‍थानीय निवासी बोले - "पूरा होगा सपना..."

DHARAVI REDEVELOPMENT PROJECT: 600 एकड़ में फैली धारावी की जल्‍द ही सूरत बदल जाएगी. अभी जहां झुग्‍गी-बस्तियां नजर आ रही हैं, वहां आलिशान इमारतें होंगी. ‘धारावी पुनर्विकास परियोजना’ के लिए धारावी का डिजिटल सर्वे आज से शुरू हो गया है.

GROUND REPORT: धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए डिजिटल सर्वे शुरू, स्‍थानीय निवासी बोले -

लोगों को 350 वर्गफुट का घर मिलेगा, जिसमें टॉयलेट और बाथरूम भी होगा...

मुंबई :

अदाणी समूह और महाराष्ट्र सरकार के संयुक्त उपक्रम ‘धारावी पुनर्विकास परियोजना' के लिए धारावी का डिजिटल सर्वे आज से शुरू हो गया है. इस प्रोजेक्‍ट के लिए आज से दस्तावेज़ इकट्ठा किये जा रहे हैं. इसके बाद पात्र और अपात्र लोग तय होंगे. इस पुनर्विकास परियोजना के लिए धारावी का सर्वे सरकार कर रही है, ऐसे में सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र सिक्योरिटी फ़ोर्स को तैनात किया गया है. एनडीटीवी उस इलाके में पहुंचा, जहां सर्वे टीम लोगों का डेटा इकट्ठा कर रही है और जाना कि कैसा किया जा रहा है ‘धारावी पुनर्विकास परियोजना' के लिए डिजिटल सर्वे. धारावी से इस डिजिटल सर्वे की ग्राउंड रिपोर्ट... 

धारावी का डिजिटल सर्वे होने के बाद सरकार ही दस्तावेज़ की जांच भी करेगी. धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट और स्लम पुनर्वास प्राधिकरण ( एसआरए ) की टीमें सर्वे के लिए पहुंच गई हैं. बता दें कि 18 मार्च को नंबरिंग हुई थी और अब 1 अप्रैल से दस्तावेज़ देखे जा रहे हैं. इसकी शुरुआत कमला रमण नगर इलाक़े से हुई है. इस इलाके में कुछ 395 ग्राउं स्‍ट्रक्‍चर्स हैं.   

एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी में रहने वाले नागरिकों की पात्रता तय करने के लिए डिजिटल सर्वे आज से शुरू हुआ है. महाराष्ट्र सिक्योरिटी फ़ोर्स की सुरक्षा में सरकार की कई टीमें मुंबई की धारावी में डिजिटल सर्वे का चुनौतीपूर्ण काम कर रही हैं. धारावी का सर्वे सरकार कर रही है और एक ऐप पर सारा डेटा अपलोड किया जा रहा है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि पात्र और अपात्र दोनों को ही घर दिये जाएंगे. पात्र लोगों को 350 वर्गफुट का घर मिलेगा, जिसमें टॉयलेट और बाथरूम भी होगा.

धारावी में डिजिटल सर्वे कर रहे समाज विकास अधिकारी प्रकाश मोटकटे ने एनडीटीवी को बताया,  "कमला रमण नगर में नंबरिंग का काम पूरा हो गया है, इसके बाद अब डोर-टू-डोर सर्वे शुरू हुआ है. इस दौरान हम घर में रहने वाले लोगों का पूरा डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. इसमें मकान के कागजात, बिजली का बिल, आधार कार्ड आदि दस्‍तावेज इकट्ठा किये जा रहे हैं. घर के सदस्‍यों का बायोमेट्रिक डेटा भी कलेक्‍ट किया जा रहा है."    

प्रकाश मोटकटे ने बताया, "कमला रमण नगर में 5 टीमें सर्वे के काम में जुटी हुई हैं. एक टीम पर 10 घरों की जिम्‍मेदारी है. एक घर में सर्वे करने में लगभग 20 से 25 मिनट का समय लग रहा है. यहां सरकार की तरफ से ही सर्वे कराया जा रहा है, जिसमें डीआरपीपीएल, पीएमसी और जेनेसिस की ओर से सर्वे करने वाले लोग हैं." उन्‍होंने बताया कि जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले रह रहे हैं, वो पात्र की श्रेणी में आएंगे. इस सर्वे को पूरा होने में लगभग 8 महीने का समय लग सकता है. 

धारावी के कमला रमण नगर में 1992 से रह रहीं निलिमा ने बताया, "कमला रमण नगर का जो पहले सर्वे हुआ था, उसके दस्‍तावेज हमने दिये हैं. इसके आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड भी सर्वे टीम को दिये हैं. सर्वे टीम के लोगों ने बहुत सहयोग किया. सर्वे होने के बाद अब लग रहा है कि हमें घर जरूर मिलेगा. पहले भी हमें ऐसा सपना दिखाया गया था, लेकिन अब जिस तरीके से काम हो रहा है, उससे लगता है कि हमारा सपना इस बार जरूर पूरा होगा. 

वहीं, कमला रमण में रहने वालीं भावना सावंत ने बताया कि हम 1993 से यहां रह रहे हैं. हमारे घर का सर्वे हो गया है. अब ऐसा लग रहा है कि हमारा सपना पूरा हो जाएगा. हमें भी एक अच्‍छा घर मिलेगा. हमने सभी दस्‍तावेज सर्वे टीम को दे दिये हैं. 

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