डीजी वंजारा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विशेष सीबीआई अदालत द्वारा इशरत जहां मुठभेड़ कांड में मुख्य आरोपी सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा को गुजरात में प्रवेश करने और वहां ठहरने की अनुमति दे दी गई है, और वह अहमदाबाद लौट आए हैं। आइए जानते हैं, कौन हैं डीजी वंजारा...
गुजरात एन्टी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) के मुखिया रहे डीजी वंजारा अपने कार्यकाल के दौरान एनकाउंटर विशेषज्ञ के रूप में मशहूर रहे हैं। वंजारा को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान उनका बेहद करीबी पुलिस अधिकारी माना जाता रहा है। 1987 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर डीजी वंजारा क्राइम ब्रांच तथा पाकिस्तानी सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी भी रहे हैं।
वर्ष 2002 से 2005 के दौरान जब वंजारा अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में डीसीपी हुआ करते थे, लगभग 20 एनकाउंटर हुए, जिन्हें बाद में सीबीआई ने फर्जी करार दिया, और वर्ष 2007 में राज्य सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया।
फिलहाल वंजारा पर इन्हीं एनकाउंटर के कारण आठ लोगों की हत्या के मामले चल रहे हैं, जिनमें इशरत जहां तथा उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोगों के अलावा सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति तथा सादिक जमाल शामिल हैं। वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया था, और वंजारा तभी से मुंबई की जेल में थे।
इशरत जहां के एनकाउंटर पर क्राइम ब्रांच का दावा था कि चारों लोग आतंकी थे, और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेने के इरादे से आए थे। बाद में कोर्ट के आदेश पर हुई सीबीआई जांच में एनकाउंटर को फर्जी बताया गया। उधर, सितंबर, 2014 में मुंबई की एक अदालत ने डीजी वंजारा को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मुठभेड़ मामलों में जमानत दे दी थी।
गुजरात एन्टी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) के मुखिया रहे डीजी वंजारा अपने कार्यकाल के दौरान एनकाउंटर विशेषज्ञ के रूप में मशहूर रहे हैं। वंजारा को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान उनका बेहद करीबी पुलिस अधिकारी माना जाता रहा है। 1987 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर डीजी वंजारा क्राइम ब्रांच तथा पाकिस्तानी सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी भी रहे हैं।
वर्ष 2002 से 2005 के दौरान जब वंजारा अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में डीसीपी हुआ करते थे, लगभग 20 एनकाउंटर हुए, जिन्हें बाद में सीबीआई ने फर्जी करार दिया, और वर्ष 2007 में राज्य सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया।
फिलहाल वंजारा पर इन्हीं एनकाउंटर के कारण आठ लोगों की हत्या के मामले चल रहे हैं, जिनमें इशरत जहां तथा उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोगों के अलावा सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति तथा सादिक जमाल शामिल हैं। वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया था, और वंजारा तभी से मुंबई की जेल में थे।
इशरत जहां के एनकाउंटर पर क्राइम ब्रांच का दावा था कि चारों लोग आतंकी थे, और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेने के इरादे से आए थे। बाद में कोर्ट के आदेश पर हुई सीबीआई जांच में एनकाउंटर को फर्जी बताया गया। उधर, सितंबर, 2014 में मुंबई की एक अदालत ने डीजी वंजारा को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मुठभेड़ मामलों में जमानत दे दी थी।
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