
महाराष्ट्र में रविवार को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) सरकार में 39 नये मंत्रियों ने शपथ ली. मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा को 19 मंत्री पद मिले, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को 11 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 9 मंत्री पद मिले. तैंतीस विधायकों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि छह ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. फडणवीस के कैबिनेट विस्तार के माध्यम से महायुति की तरफ से सभी समुदाय को साधने की कोशिश की. नए मंत्रिपरिषद में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और भाजपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार को भी जगह दी गयी है. हालांकि देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाने वाले रवींद्र चव्हाण को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली.
क्या देवेंद्र फडणवीस को नहीं मिला है फ्री हैंड?
रवींद्र चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बेहद करीबी माने जाते हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में डोंबिवली से 77106 मतों के भारी अंतर से उन्होंने जीत दर्ज की. चर्चा थी कि उन्हें कैबिनेट में जरूर जगह मिलेगी हालांकि अंतिम समय में उनका नाम कैबिनेट से कट गया. ऐसे में इस बात की चर्चा है कि क्या मंत्रिमंडल के विस्तार में देवेंद्र फडणवीस को पार्टी आलाकमान की तरफ से फ्री हैंड नहीं दी गयी थी. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में जो जीत मिली, उसका श्रेय रवींद्र चव्हाण को दिया जा रहा है. रवींद्र चव्हाण के मंत्री बनने की पूरी संभावना थी.
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सहयोगियों को साधने की रही है कोशिश
बीजेपी ने शिवसेना से दोगुनी से अधिक सीटों पर और एनसीपी से तिगुनी से अधिक सीटों पर जीत हासिल की. यदि सीटों के हिसाब से सरकार में भागीदारी का हिस्सा देखें तो बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी को कहीं अधिक मंत्री पद दिए हैं. बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी की सीटें 132, 57 और 41 हैं जबकि इन तीनों दलों के पास मंत्री पद क्रमश: 19, 11 और 9 हैं. अब इसमें मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों, यानी देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को भी जोड़ें तो यह संख्या 20, 12 और 10 हो जाती है. बीजेपी ने कैबिनेट में गठबंधन धर्म निभाया और 'बड़े भाई' की भूमिका निभाई है.
नाम | राजनीतिक दल |
चन्द्रशेखर बावनकुले | भाजपा |
राधाकृष्ण विखे पाटिल | भाजपा |
हसन मुश्रीफ | राकांपा |
चंद्रकांत पाटिल | भाजपा |
गिरीश महाजन | भाजपा |
गुलाबराव पाटिल | शिवसेना |
गणेश नाइक | भाजपा |
दादा भुसे | शिवसेना |
संजय राठौड़ | शिवसेना |
धनंजय मुंडे | राकांपा |
मंगल प्रभात लोढ़ा | भाजपा |
उदय सामंत | शिवसेना |
जयकुमार रावल | भाजपा |
पंकजा मुंडे | भाजपा |
अतुल सावे | भाजपा |
अशोक उइके | भाजपा |
शंभूराज देसाई | शिवसेना |
आशीष शेलार | भाजपा |
दत्तात्रय भरणे | राकांपा |
अदिति तटकरे | राकांपा |
शिवेंद्रसिंह राजे भोसले | भाजपा |
माणिकराव कोकाटे | राकांपा |
जयकुमार गोरे | भाजपा |
नरहरि झिरवाल | राकांपा |
संजय सावकरे | भाजपा |
संजय शिरसाट | शिवसेना |
प्रताप सरनाईक | शिवसेना |
भरत गोगावले | शिवसेना |
मकरंद जाधव पाटिल | राकांपा |
नितेश राणे | भाजपा |
आकाश फुंडकर | भाजपा |
बाबासाहेब पाटिल | शिवसेना |
माधुरी मिसाल (राज्य मंत्री) | भाजपा |
आशीष जायसवाल (राज्य मंत्री) | शिवसेना |
पंकज भोयर | भाजपा |
मेघना बोर्डिकर | भाजपा |
इंद्रनील नाइक | राकांपा |
योगेश कदम | शिवसेना |
प्रेशर बनाने वाले दिग्गजों की भी हो गयी छुट्टी
महाराष्ट्र के नए मंत्रिमंडल में कई दिग्गज नेताओं का पत्ता कट गया है. एनसीपी के छगन भुजबल और दिलीप वलसे पाटिल, बीजेपी के सुधीर मुनगंटीवार एवं शिवसेना से अब्दुल सत्तार व दीपक केसरकर मंत्रिमंडल में नहीं लिए गए हैं. छगन भुजबल एनसीपी के तो वरिष्ठ नेता हैं ही, महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के भी सबसे वरिष्ठ नेता माने जाते हैं. सुधीर मुनगंटीवार बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. वे 1995 में पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में, 2014 की फडणवीस सरकार में और 2022 में शिंदे सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. अब्दुल सत्तार और दीपक केसरकर एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाते हैं. बीजेपी के रवींद्र चव्हाण को भी मंत्री नहीं बनाया गया है. शिवसेना से अर्जुन खोतकर, तानाजी सावंत का भी पत्ता कट गया है.
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परफॉर्मेंस ही पहली शर्त
देवेंद्र फडणवीस की सरकार में 25 नए चेहरों को जगह मिली है, जिनमें चंद्रशेखर बावनकुले, गणेश नाइक, जयकुमार रावल, पंकजा मुंडे, मकरंद पाटिल, नितेश राणे, आकाश फुंडकर, बाबासाहेब पाटिल, प्रकाश अबितकर, माधुरी मिसाल, आशीष जयसवाल, पंकज भोयर, मेघना बोर्डिकर, इंद्रनील नाइक अशोक उइके, आशीष शेलार, दत्तात्रेय भरणे, शिवेंद्रराजे भोसले, माणिकराव कोकाटे, जयकुमार गोरे, नरहरि जिरवाल, संजय सावकारे, संजय शिरसाट, प्रताप सरनाईक, भरत गोगावले, शामिल हैं. एकनाथ शिंदे की सरकार में मंत्री रहे 12 कैबिनेट मंत्रियों को देवेंद्र फडणवीस की सरकार में जगह नहीं मिली. सीएम की तरफ से साफ संदेश दिया गया है कि प्रत्येक मंत्री के कार्यों का ऑडिट किया जाएगा.
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संगठन की मजबूती और जीत दिलाने वालों पर नजर
देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट में बीजेपी की तरफ से ऐसे लोगों को शामिल करने की कोशिश रही जिन्होंने पार्टी को संगठन के स्तर पर और नई सीटें निकालने में मदद की.इसके लिए कई वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज भी पार्टी की तरफ से किया गया. यवतमाल वाशिम से चुनाव जीत कर आने वाले युवा नेता अशोख उइके को पार्टी की तरफ से मौका दिया गया है. वहीं भुसावल सीट से चुनाव जीतकर आने वाले संजय सावकारे भी मंत्री बने हैं. इन दोनों नेताओं ने पार्टी की जीत के लिए और संगठन की मजबूती के लिए जमकर काम किया था.
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