विज्ञापन
This Article is From Dec 16, 2016

नोटबंदी की मार से चौपट हो रहा है चमड़ा उद्योग, नहीं मिल रहा है कच्चा माल

नोटबंदी की मार से चौपट हो रहा है चमड़ा उद्योग, नहीं मिल रहा है कच्चा माल
नोएडा: नोटबंदी की मार से समाज का कोई भी वर्ग अछूता नहीं है. कारोबारी हो या फिर आम आदमी, सरकार के इस फैसले से सभी हलकान हैं. बात अगर जूता उद्योग की करें तो यह कारोबार लगभग ठप होने के कगार पर पहुंच गया है. सबसे ज्यादा असर उस कारोबारी पर पड़ रहा है जो जूतों के आयात-निर्यात से जुड़े हैं.

करीब चालीस साल से सुनील हरज़ाई जूते का एक्सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन नोटबंदी के बाद कारोबार चलाना मुश्किल हो रहा है. सुनील का नोएडा में जूता बनाने की फैक्टरी है. उनकी फैक्टरी के जूतों की देश के साथ विदेशों में भी काफी मांग है. कुछ समय पहले तक सुनील बहुत खुश थे, क्योंकि इस साल उन्हें एक्सपोर्ट के अच्छे ऑर्डर मिले थे. लेकिन उनकी खुशी प्रधानमंत्री की नोटबंदी की घोषणा के साथ काफूर हो गई.

भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की सरकार की इस पहल से सुनील शुरू में तो काफी खुश थे, लेकिन जब इस पहल का असर उनके कामधंधे पर पड़ने लगा तो उनकी परेशानियां रोज़ाना बढ़ने लगीं.

 सुनील ने बताते हैं कि हाई-क्वालिटी जूते से जुड़ी एक्सेसरीज़ खरीदने के लिए हर रोज़ नकदी की ज़रूरत पड़ती है. इतना ही नहीं दैनिक कर्मचारियों को नकद में ही भुगतान करना पड़ता है. लेकिन नोटबंदी के बाद से नकदी की तंगी ने उनके कामकाज की तस्वीर ही बिगाड़ कर रख दी. उन्हें जरुरत के हिसाब से कच्चा माल और अन्य साजोसमान नहीं मिल रहा है. साथ में कई कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं.

सुनील कहते हैं कि सरकार ने हर हफ्ते नकदी निकालने की जो सीमा 50 हज़ार रुपये तय की है उसे बढ़ाकर 5 लाख करना बेहद ज़रूरी है. तभी ज़रूरी कैश उनके जैसे एक्सपोर्टरों को मिल पाएगा.
सुनील बताते हैं कि नकदी संकट का दायरा बड़ा है. पैसे की कमी से पूरी आपूर्ति लाइन ही चौपट हो गई है. जूता बनाने के जरुरी सामान नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीण इलाकों में नकदी बिल्कुल भी नहीं है. इसका असर उनके यहां उत्पादन पर पड़ रहा है. वह बताते हैं कि वे विदेशों से आए ऑर्डर को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इससे कारोबार के साथ उनकी साख पर भी संकट आ गया है.

सुनील की बेटी सुनैना कहती हैं कि असंगठित क्षेत्र, जहां से बुनियादी सामान आता है चमड़ा एक्सपोर्ट का, वहां व्यापार ज़्यादातर नकदी पर निर्भर करता है. ऐसे में आप उम्मीद नहीं कर सकते कि कुछ हफ्तों में सारा व्यापार कैशलेस हो सकेगा.

अब चमड़ा उद्योग को सरकार से किसी राहत का इंतज़ार है जो फिलहाल दूर-दूर तक नहीं दिख रही.

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
Cyclone Dana : कहां-कहां होगा तूफान का असर, निपटने की क्या हैं तैयारी? जानिए 10 बड़ी बातें
नोटबंदी की मार से चौपट हो रहा है चमड़ा उद्योग, नहीं मिल रहा है कच्चा माल
बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां... 2025 में तबाही शुरू, 2043 में मुस्लिम शासन... जानिए कितनी हुईं सच
Next Article
बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां... 2025 में तबाही शुरू, 2043 में मुस्लिम शासन... जानिए कितनी हुईं सच
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com