विज्ञापन
This Article is From Mar 23, 2023

बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ संविधान पीठ के सामने जल्द सुनवाई की मांग

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 27 वर्षीय फरजाना ने बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. इससे पहले भी बहुविवाह और हलाला के खिलाफ कई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं.

बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ संविधान पीठ के सामने जल्द सुनवाई की मांग
बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ संविधान पीठ के सामने जल्द सुनवाई की मांग की गई है.
नई दिल्ली:

मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने संविधान पीठ के सामने जल्द सुनवाई की मांग की है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कोई तारीख नहीं दी. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उचित समय आने पर संविधान पीठ का गठन करेंगे. 30 अगस्त 2022 को बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था. केंद्र, NCW, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और NHRC से जवाब मांगा था. पांच जजों के संविधान पीठ ने  9 याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था. याचिकाकर्ता और तीन बच्चों की मां समीना बेगम दो बार तीन तलाक का शिकार हो चुकी हैं.

याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए, क्योंकि यह बहुविवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है. साथ ही भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हो. याचिका में यह भी कहा गया है कि ‘ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है.

साथ ही याचिका में कहा गया है कि कुरान में बहुविवाह की इजाजत इसलिए दी गई है ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति सुधारी जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था पर इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से अधिक महिलाओं से विवाह का लाइसेंस मिल गया है. याचिका में उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों और उन देशों का भी जिक्र किया गया है, जहां बहुविवाह पर रोक है. समीना ने कहा है कि सभी तरह के पर्सनल लॉ का आधार समानता होनी चाहिए, क्योंकि संविधान महिलाओं के लिए समानता, न्याय और गरिमा की बात कहता है.  इससे पहले बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने भी बहुविवाह और निकाह हलाला पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि इससे महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.

इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 27 वर्षीय फरजाना ने बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. इससे पहले भी बहुविवाह और हलाला के खिलाफ कई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं और इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को करनी है. हलाला के तहत तलाकशुदा महिला को अपने पति के साथ दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है. दूसरा पति जब तलाक देगा, तभी वह महिला अपने पहले पति से निकाह कर सकती है. जबकि बहुविवाह नियम मुस्लिम पुरुष को चार पत्नी रखने की इजाजत देता है. 

यह भी पढ़ें-
सुंदर पिचाई को Google कर्मचारियों ने लिखा Open Letter : जानें क्या है वजह और मांग
अमृतपाल सिंह पर खालिस्तान समर्थकों को ब्रिटेन में भारत कैसे दे रहा जवाब? 10 प्वाइंट्स

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com