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This Article is From Aug 12, 2023

दिल्ली सेवा बिल सहित संसद में पारित सभी 4 बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी

INDIA गठबंधन ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण कानून का जमकर विरोध किया था. यह जब मतदान के लिए रखा गया तो विपक्षी गठबंधन के सांसद संसद से बाहर चले गए थे.

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दिल्ली सेवा बिल (Delhi Services Bill) को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है.

नई दिल्ली:

मॉनसून सत्र के दौरान संसद में लगातार हंगामे के बीच पारित चार विधेयकों को मंजूरी दे दी गई है. आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पर  हस्ताक्षर किए गए हैं.इनमें से दो बिल, जो अब कानून बन गए हैं, का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया था.

INDIA गठबंधन ने दिल्ली सेवा बिल का किया विरोध
INDIA गठबंधन ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण कानून का जमकर विरोध किया था. राष्ट्रीय राजधानी सेव नियंत्रण कानून उस अध्यादेश की जगह लेता है, जिसने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से दिल्ली में अफसरों के तबादले और पोस्टिंग से जुड़ा नियंत्रण छीन लिया. यह जब मतदान के लिए रखा गया तो विपक्षी गठबंधन के सांसद संसद से बाहर चले गए थे.

गृह मंत्री सरकार के प्रस्तावित कानून का बचाव किया
गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के प्रस्तावित कानून का बचाव किया था, जो राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों को नियंत्रित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर देता है. केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच आठ साल तक चली खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनी हुई सरकार का ही दिल्ली में अफसरों की पोस्टिंग और तबादले पर नियंत्रण होगा.

अमित शाह ने  कहा, "यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है. संविधान में ऐसे प्रावधान हैं, जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते है." 

131 सांसदों ने पक्ष में जबकि 102 ने विरोध में किया मतदान

आपको बता दें कि बिल पास होने से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि यह केवल दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने का प्रयास है. वहीं, इस बिल को पारित करने के लिए 131 सांसदों ने पक्ष में जबकि 102 ने इसके विरोध में मतदान किया.

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