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दिल्ली दंगा केस: राजधानी में था ही नहीं, कोई कॉल नहीं किया.. SC में उमर, शरजील की क्या दलीलें, जानें

दिल्ली दंगे फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए थे, जिसमें 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वे तब से जेल में हैं.

दिल्ली दंगा केस: राजधानी में था ही नहीं, कोई कॉल नहीं किया.. SC में उमर, शरजील की क्या दलीलें, जानें
दिल्‍ली दंगा मामले में पुलिस ने कहा है कि आरोपियों के खिलाफ मजबूत दस्तावेजी और तकनीकी सबूत हैं
  • 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में शरजील ईमाम, उमर खालिद समेत 6 आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई
  • दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर आरोपियों के खिलाफ मजबूत दस्तावेज और तकनीकी सबूत पेश किए हैं
  • पुलिस ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने सांप्रदायिक दंगे भड़काने और देश की एकता को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची
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नई दिल्‍ली:

2020 दिल्ली दंगा मामले में आरोपी शरजील ईमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा, शिफा उर रहमान और मुहम्मद सलीम खान की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील अपनी-अपनी दलील रख रहे हैं  सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्‍ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम 11 अप्रैल 2020 से यानी पांच साल पांच महीने से जेल में बंद हैं. चार्जशीट बहुत पुरानी हो गई हैं. कई पूरक चार्जशीट दाखिल की गई हैं. पहली चार्जशीट 2020 में और आखिरी पूरक चार्जशीट जून 2023 में दाखिल की गई. जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजिरिया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक एम. सिंघवी याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा गुरुवार देर शाम जवाब दाखिल किया गया था. इसलिए अदालत ने याचिकाकर्ता वकीलों को जवाब पढ़ने का समय दिया. मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

खालिद के अमरावती के भाषण में गांधीवादी सिद्धांतों की बात

सिब्बल ने दलील दी कि खालिद ने 17 फरवरी को अमरावती में भाषण दिया था और इसी आधार पर पुलिस ने आरोप लगाया कि उमर खालिद इस सब के लिए ज़िम्मेदार है! उसने हिंसा के बारे में कुछ नहीं कहा और यह एक सार्वजनिक भाषण है, जिसमें गांधीवादी सिद्धांतों की बात की गई है. तीन आरोपियों, जिनमें 2 महिलाएं और एक आसिफ इकबाल तन्हा, को हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दी और सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा.  समानता के आधार पर इस पर भी फैसला किया जा सकता है.

दिल्ली मे दंगे हुए उस समय उमर खालिद दिल्ली में नहीं था

उमर खालिद के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब दिल्ली मे दंगे हुए उस समय उमर खालिद दिल्ली में नहीं था. उमर खालिद के खिलाफ़ आरोप साज़िश का है. 751 एफ़आईआर हैं, उमर खालिद पर एक में आरोप है कि उसने दंगों की साज़िश रची थी. लेकिन जिन तारीखों को दंगे हुए, उन तारीखों को उमर खालिद दिल्ली में नहीं था और न ही कोई पैसा, कोई हथियार बरामद हुए और न ही हिंसा से जुड़े कोई साक्ष्य मिले. किसी गवाह का बयान भी नहीं मिला, जो उमर खालिद को वास्तव में किसी हिंसा से जोड़ता हो. वे कहते हैं कि मैं ही समय ले रहा हूं और मामले में देरी कर रहा हूं, जबकि तथ्य कुछ और ही कहते हैं. मेरे खिलाफ साजिश का आरोप है. 751 एफआईआर दर्ज हैं. याचिकाकर्ता दंगों के समय दिल्ली में था ही नहीं. अगर मैं वहां नहीं हूं, तो दंगों को इससे कैसे जोड़ा जा सकता है? 751 में से मुझे केवल एक में पक्ष बनाया गया.

बेल नियम है, जेल अपवाद

बेल नियम है, जेल अपवाद.. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत में ये दलील दी. उन्‍होंने कहा, 'ताहिर हुसैन से मिले पैसे से आतंकी गतिविधि होने का आरोप लगा.  पैसा कितना था, कहां से आया... इसका कोई सबूत नहीं है. मुझे ताहिर हुसैन से जोड़ने के लिए कोई कड़ी, तो पुलिस को दिखानी होगी. गुलफिशा पिंजरा तोड़ की सदस्य नहीं है. लेकिन इसमें शामिल दो अन्य लोगों को ज़मानत मिल गई है. पुलिस को यह बताने में एक साल लग गया कि चार्जशीट की जांच पूरी हुई है या नहीं.'

'किसी के पास मिर्च पाउडर, तेजाब होने का कोई सबूत नहीं'

अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोपियों के लिए बेल की मांग करते हुए कहा कि 2020 के बाद ज़मानत याचिका 90 से ज़्यादा बार लिस्टेड हुई. आरोप है कि गुलफिशा पिंजरा तोड़ वुमेन ग्रुप का हिस्सा हैं. फिर सीक्रेट मीटिंग के आरोप लाए गए. लेकिन इस मामले में दूसरी आरोपियों देवांगना और नताशा को भी ज़मानत मिल गई है. मेरे मुअक्किल के खिलाफ आरोप यह है कि उसने धरना स्थल स्थापित किया था, लेकिन इनमें से किसी भी धरना स्थल पर कोई हिंसा की घटना नहीं हुई. जिन भी स्थलों पर वो मौजूद थी, वहां किसी के पास मिर्च पाउडर, तेजाब इत्यादि होने का कोई सबूत नहीं है. आरोपी गुलफिशा फातिमा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- 5 साल से आरोपी जेल मे हैं. पहली चार्जशीट 16 सितंबर 2020 मे दाखिल हुई है. उसके बाद हर साल सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई. पहले ही काफी देरी हो गई है. अभी ट्रायल शुरू होने में काफी समय लगेगा.

आरोपियों की जमातन के खिलाफ दिल्‍ली पुलिस का हलफनामा 

2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े साजिश मामले में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया है. पुलिस ने कहा है कि आरोपियों के खिलाफ मजबूत दस्तावेजी और तकनीकी सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर पूरे देश में दंगे भड़काने की योजना बनाई थी. पुलिस के हलफनामे के अनुसार, उमर खालिद और उनके साथियों ने साजिश रची, उसे बढ़ावा दिया और उसे अमल में लाया. इसका मकसद सांप्रदायिक सद्भाव को तोड़कर देश की संप्रभुता और एकता पर हमला करना था. उन्होंने भीड़ को न सिर्फ सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के लिए उकसाया, बल्कि सशस्त्र विद्रोह के लिए भी भड़काया.

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हाई कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कार्यकर्ताओं ने दो सितंबर को पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. हाई कोर्ट ने खालिद और इमाम समेत नौ लोगों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में 'षड्यंत्रकारी' तरीके से हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती. 

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दंगाों में 53 लोगों की हुई थी मौत

खालिद और इमाम के अलावा, जिन लोगों की ज़मानत खारिज की गई थी उनमें फातिमा, हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं. एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने खारिज कर दी थी. दिल्ली दंगे फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए थे, जिसमें 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वे तब से जेल में हैं. कई मानवाधिकार संगठनों ने उनकी गिरफ्तारी को राजनीतिक बताया है, जबकि पुलिस इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला मानती है.

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