दिल्ली पुलिस के कर्मियों को राहत देते हुए एक आधिकारिक परिपत्र में कहा गया है कि निजी हैसियत से आपराधिक मामलों का सामना करने वाले पुलिसकर्मियों को ‘संदिग्ध सत्यनिष्ठा सूची' में शामिल नहीं किया जाएगा. गौरतलब है कि जिन पुलिसकर्मियों के नाम ‘संदिग्ध सत्यनिष्ठा सूची' में होते हैं, उन्हें तैनाती और पदोन्नति पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (सतर्कता) आत्माराम वी. देशपांडे द्वारा बृहस्पतिवार को जारी परिपत्र में कहा गया कि भ्रष्टाचार के आरोपों और सत्यनिष्ठा की कमी वाले कर्मियों का नाम ही इस सूची में रखा जाएगा.
परिपत्र में कहा गया कि विभिन्न जिलों और एवं इकाइयों से प्राप्त संस्तुतियों का अवलोकन करने पर यह पाया गया है कि पुलिसकर्मियों के विरुद्ध दर्ज निजी झगड़े आदि के आपराधिक मुकदमों में संबंधित पुलिस उपायुक्त द्वारा ऐसे पुलिसकर्मियों का नाम ‘संदिग्ध सत्यनिष्ठा सूची' में शामिल करने के लिए भेजा जाता है.
परिपत्र में कहा गया है कि ऐसे मामलों में आरोपी पुलिसकर्मियों का नाम इस सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. परिपत्र के मुताबिक, यदि पुलिसकर्मी के खिलाफ आपराधिक मामला हिरासत में मारपीट, प्रताड़ना, धमकी देना और आधिकारिक शक्तियों का दुरूपयोग करना आदि से जुड़ा होगा तो ‘संदिग्ध सत्यनिष्ठा सूची' में शामिल करने की अनुशंसा जारी रहेगी.
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