कंझावला मामले के एक सप्ताह बाद, दिल्ली पुलिस ने नाइट ड्यूटी के दौरान सभी इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों से अपने लाइव स्थानों को साझा करने के लिए कहा है. अधिकारियों ने बताया कि सभी थाना प्रभारी (एसएचओ), आतंकवाद रोधी अधिकारियों (एटीओ) और जांच निरीक्षक (ब्रावो) को भी थाने छोड़ने से पहले पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को सूचित करने का निर्देश दिया गया है.
लाइव लोकेशन शेयर करना होगा
आदेश में कहा गया है, "एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर), एटीओ (आतंकवाद विरोधी अधिकारी) और जांच निरीक्षक (ब्रावो) को रात 12 बजे से सुबह 4 बजे तक अपनी लाइव लोकेशन के साथ अपनी स्थिति अपडेट करनी होगी. कोई भी पुलिस कर्मी डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) की अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ेगा.“ आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह फैसला एक जनवरी को कंझावला की घटना के मद्देनजर लिया गया है.
यह था कंझावला मामला
अंजलि सिंह अपने एक दोस्त के साथ स्कूटर पर घर जा रही थी, तभी नए साल की रात 2 बजे के बाद कार ने टक्कर मार दी. अंजलि का पैर एक पहिये में फंस गया और कार उसे घसीट कर ले गई, जबकि उसकी सहेली को मामूली चोटें आईं. कथित तौर पर नशे में धुत कार सवार लोगों को पता चला कि एक युवती कार के नीचे फंसी हुई है, लेकिन वे उसी क्षेत्र में घूमते रहे और शरीर को कार से गिराने के लिए कई यू-टर्न लेते रहे. शव गिरने के बाद कार लेकर भाग गए.
पिता की पहले ही गई थी मौत
पोस्टमार्टम से पता चला कि अंजलि को कम से कम 40 बाहरी चोटें लगीं थीं. उसकी पसलियां उसकी पीठ से बाहर निकल गई थीं, क्योंकि त्वचा छिल गई थी. मामले के सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. अंजलि अपनी मां और छोटे भाई-बहनों के साथ उत्तर पश्चिमी दिल्ली के अमन विहार में रहती थी. उसके पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी.
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