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मर्डर कर भाग गया था 300 KM दूर, बेचने लगा छोले भटूरे; 20 साल बाद पुलिस ने आम वाला बनकर दबोचा

डीसीपी ने बताया कि हाल ही में, पुलिस को सूचना मिली थी कि सिपाही लाल मैनपुरी के रामलीला मैदान के पास एक अलग नाम से छोले भटूरे बेच रहा है. सूचना के आधार पर रणनीति बनाकर क्राइम ब्रांच ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

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मर्डर कर भाग गया था 300 KM दूर, बेचने लगा छोले भटूरे; 20 साल बाद पुलिस ने आम वाला बनकर दबोचा
नई दिल्ली:

फिरौती के लिए दिल्ली के एक व्यापारी के अपहरण और हत्या के मामले में पिछले 20 वर्षों से लापता एक व्यक्ति को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) के पास से गिरफ्तार किया गया. जहां वह छोले भटूरे बेचता था. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कहा कि पुलिस से बचने के लिए उसने अपनी पहचान बदल ली थी. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा कि सिपाही लाल उर्फ ​​​​गुरदयाल की गतिविधि पर नज़र रखने के लिए, एएसआई सोनू नैन ने खुद को आम विक्रेता के रूप में पेश किया और मैनपुरी में रामलीला मैदान के पास एक 'रेहड़ी' लगाई. 

डीसीपी ने बताया कि हाल ही में, पुलिस को सूचना मिली थी कि सिपाही लाल मैनपुरी के रामलीला मैदान के पास एक अलग नाम से छोले भटूरे बेच रहा है. उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए, एएसआई सोनू नैन को आम विक्रेता के भेष में वहां पुलिस की तरफ से तैनात किया गया था.दो दिन बाद एएसआई को पता चला कि सिपाही लाल गुरदयाल के नाम से छोले भटूरे बेच रहा है.  

डीसीपी ने कहा, "जब उसे गिरफ्तार किया गया तो आरोपी ने खुद को गुरदयाल बताकर पुलिस को चकमा देने की कोशिश की. लेकिन बाद में वह टूट गया और अपना असली नाम और पहचान बता दी. आरोपी को कानून की उचित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. 

20 साल पुराना है मामला
20 साल पुराने मामले की जानकारी साझा करते हुए पुलिस ने बताया कि 31 अक्टूबर 2004 को रमेश चंद गुप्ता नाम का एक व्यापारी अपनी सेंट्रो कार में दिल्ली के शकरपुर इलाके स्थित अपने घर से निकला था. लेकिन वह वापस घर नहीं लौटा.  उनके भाई जगदीश कुमार ने शालीमार बाग थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराया था. 2 नवंबर 2004 को, गुप्ता की कार बहादुरगढ़ पुलिस स्टेशन में जमा पाई गई, लेकिन वह व्यक्ति अभी भी लापता था. परिजनों के शक के आधार पर मुकेश वत्स नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया था. 

पुलिस उपायुक्त (क्राइम) राकेश पावरिया ने कहा, "पूछताछ पर वत्स ने खुलासा किया कि उसने अपने साथियों सिपाही लाल, शरीफ खान, कमलेश और राजेश के साथ मिलकर गुप्ता का अपहरण किया और बाद में उसकी हत्या कर दी."

वत्स आजादपुर मंडी में सब्जी का कारोबार चलाते थे और शरीफ खान, कमलेश, राजेश और सिपाही लाल उनके कर्मचारी थे.  आरोपियों ने शव को एक बोरे में डाला और कराला गांव के पास एक नाले में फेंक दिया. जांच के दौरान, शरीफ खान और कमलेश को कराला से गिरफ्तार किया गया, जहां गुप्ता का शव भी मिला था.हालांकि, सिपाही लाल और राजेश को गिरफ्तार नहीं किया जा सका और अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था. 

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