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केजरीवाल की जमानत का विरोधः CBI की सुप्रीम कोर्ट में 10 सबसे बड़ी दलीलें क्या हैं?

Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली शराब नीति केस से जुड़े CBI के मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ और जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. शीर्ष अदालत मंगलवार (10 सितंबर) को फैसला सुना सकती है.

दिल्ली शराब नीति केस पर सुप्रीम सुनवाई

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका और केंद्रीय जांच ब्यूरो (Cbi) की ओर से शराब घोटाले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और सीबीआई का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू की दलीलें सुनी.

अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें

  1. सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को एफआईआर दायर होने के बाद दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए जल्दबाजी में "बीमा गिरफ्तारी" की.
  2. सीबीआई ने केजरीवाल को "उनके असहयोग और टालमटोल वाले जवाब" के लिए गिरफ्तार किया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसले हैं, जिनमें कहा गया है कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आरोपी खुद को दोषी ठहराए और कथित अपराधों को कबूल करे.
  3. दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन संवैधानिक पदाधिकारी केजरीवाल ने जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा किया है. उनके भागने का खतरा नहीं है, वह जांच एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए आएंगे और दो साल बाद लाखों पन्नों के दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते.
  4. केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. PMLA के तहत दोहरी शर्तों का प्रावधान है. इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष मे दो फैसले हुए हैं. आज सीबीआई का केस ही अदालत के सामने है. सिंघवी ने दलील देते समय सिसोदिया की जमानत के फैसले का भी हवाला दिया. सिसोदिया मामले में "सांप और सीढ़ी" वाली टिप्पणी की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया. 
  5. मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसी साल मार्च में सीबीआई ने नहीं, बल्कि ईडी ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में सीबीआई ने दो साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. इस केस में PMLA के कड़े प्रावधान नहीं हैं.


एएसजी राजू की दलीलें

  1. गोवा विधानसभा चुनाव में आप की तरफ से मैदान में उतरने वाले कई उम्मीदवार केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ही केंद्रीय एजेंसी के समक्ष अपना बयान देने के लिए आगे आए.
  2. यदि माननीय न्यायाधीश केजरीवाल को जमानत पर रिहा करते हैं, तो वे (गवाह) अपने बयान से पलट जाएंगे. केजरीवाल की जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट में वापस भेजा जाना चाहिए और उन्हें पहली बार में ही दिल्ली उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका नहीं दायर करनी चाहिए थी.
  3. सर्वोच्च न्यायालय से केजरीवाल के खिलाफ दायर आरोपपत्र की विषय-वस्तु पर विचार करने का आग्रह किया, जिसका ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान लिया और 11 सितंबर को केजरीवाल के लिए पेशी वारंट जारी किया.
  4. गिरफ्तारी जांच का एक हिस्सा है और आम तौर पर किसी जांच अधिकारी को गिरफ्तारी के लिए अदालत से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन, वर्तमान मामले में, अदालत ने (गिरफ्तारी करने का) अधिकार देने का आदेश दिया था. जब अदालत के आदेश के अनुसार गिरफ्तारी की जाती है, तो कोई आरोपी मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की दलील नहीं दे सकता.
  5. CBI की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा कि के कविता की गिरफ्तारी के मामले में इस अदालत ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट में नियमित जमानत दाखिल करें. वह ट्रायल कोर्ट गईं. इसे खारिज कर दिया गया. वो सीधे यहां नहीं आए. 

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