दिल्ली हाईकोर्ट से चिराग पासवान (Chirag Paswan) को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने चिराग पासवान की अर्जी को खरिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा चिराग की अर्जी में कोई नया आधार नहीं है, चूंकि यह मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग है लिहाजा आदेश देने का कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी में इस समय अंदरूनी खींचतान चरम पर है. गौरतलब है कि एलजेपी के लोकसभा में छह सांसद हैं. पशुपति कुमार पारस, अपने भतीजे के विरोधी लोजपा के सांसदों के समर्थन से चिराग को हटाकर स्वयं लोकसभा में पार्टी के नेता के पद पर आसीन हो गए हैं.
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इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में चिराग पासवान ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी. लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को लोजपा का नेता सदन माना है. चिराग पासवान की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में जल्द मामले की सुनवाई की मांग की थी.
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चिराग ने कहा था कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है.उन्होंने 7 जुलाई को बताया था कि लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारंभिक फ़ैसले, जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को लोजपा का नेता सदन माना था, के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.गौरतलब है किचिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को बुधवार को पीएम मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. उन्हें खाद्य प्रसंस्करण यानी फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय सौंप गया है.
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