दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) के पैनल के नोटिस के खिलाफ फेसबुक इंडिया (Facebook India) के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन (Ajit Mohan) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने सुनवाई की. दिल्ली के दंगों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की कथित भूमिका से संबंधित कार्यवाही में दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक को नोटिस जारी किया है. समिति ने अब फेसबुक इंडिया के अजीत मोहन को 23 सितंबर को समिति के समक्ष पेश होकर गवाही सुनिश्चित करने के लिए एक नया नोटिस जारी किया है. समिति द्वारा रविवार को जारी बयान में चेतावनी दी गई है कि नोटिस को न मानना समिति को ‘संवैधानिक रूप से प्रदत्त विशेषाधिकार का उल्लंघन' माना जाएगा.
अपनी याचिका में अजीत मोहन ने नोटिस को खारिज करने की मांग की है. याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा की समिति उसे पेश होने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. यह मुद्दा संसद के समक्ष है. मोहन संसदीय पैनल के सामने पेश हुए हैं. दिल्ली में पुलिस और पब्लिक ऑर्डर केंद्र के पास है. आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि फेसबुक पहली नजर में दोषी है और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जानी है. 'आप' ये यह कैसे कह सकती है? वह अदालत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में अजीत मोहन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि एक डिप्टी सेकेट्ररी यह तय नहीं कर सकता कि विशेषाधिकार का उल्लंघन क्या होता है. अनुच्छेद 19 के तहत मेरा अधिकार है और उसमें भी, मुझे न बोलने का अधिकार है. मैं एक बाहरी व्यक्ति हूं और मैं समिति की कार्यशैली में हस्तक्षेप नहीं कर रहा हूं, ना ही मैंने विधायी कर्तव्यों में हस्तक्षेप किया है. ये मुद्दा राजनीतिक फेरबदल का है. नोटिस से मेरे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.
हरीश साल्वे ने दलील दी कि कमेटी को इस तरह के समन जारी करने का विशेषाधिकार हासिल नहीं है. मुझे दो समन मिले हैं. इस बात की जानकारी नहीं है कि वो मेरी बतौर गवाह पेशी चाहते हैं या एक्सपर्ट के तौर पर. हमने 13 सिम्बर को इस बारे में कमेटी को लिखा भी है कि वह समन को वापस ले, लेकिन अजीत मोहन के पेश न होने पर कमेटी ने इसे विशेषाधिकार हनन मानते हुए समन जारी कर दिया, जबकि विशेषाधिकार का मसला विधानसभा तय करती है, कमेटी नहीं.
दिल्ली दंगों का मामला: विधानसभा के नोटिस के खिलाफ फेसबुक के अफसर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
हरीश साल्वे ने कहा कि आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के अंर्तगत ही किसी मसले पर न बोलने का अधिकार भी निहित है. यह मसला राजनीतिक रंग ले चुका है. मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता. लेकिन मुझे कमेटी के सामने पेश होने के लिए मज़बूर करना और ऐसा न करने की सूरत में दंड भुगतने की धमकी देना मेरी अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का हनन है.
हरीश साल्वे ने कहा कि सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मुद्दे दिल्ली विधानसभा के अधिकार में नहीं आते हैं. पुलिस तथा सार्वजनिक व्यवस्था दिल्ली विधानसभा के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. समिति को इन मुद्दों से निपटने के लिए कानून का कोई अधिकार नहीं है. विधानसभा चाहे, वो फैसला लेने या कमेटी के गठन के लिए स्वतंत्र है. लेकिन आप समझने की कोशिश कीजिए मैं अमेरिकी की एक कंपनी के लिए काम करता हूं, लेकिन अगर मैं राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मसले पर अगर कमेटी के सामने कोई राय नहीं रखता, तो मुझे इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
फेसबुक इंक की ओर से मुकुल रोहतगी ने दो टूक कहा कि वो समन पूरी तरह असंवैधानिक है. अजीत मोहन हमारे अधिकारी हैं. हम कतई नहीं चाहते कि इस पचड़े में वो पड़ें. केन्द्र सरकार और सदन को हम जवाब दे चुके हैं. साल्वे ने कहा कि अजीत मोहन कमेटी के समक्ष पेश नहीं होते तो कोई कार्रवाई ना हो, अदालत ये आदेश जारी करे.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायी समिति को न्याय निर्णय की कोई शक्ति नहीं है. विधायिका न्याय की अदालत नहीं होती. कमेटी केअध्यक्ष का कहना है कि फेसबुक दोषी है. उनका कहना है कि समिति ने पहले ही कहा है कि FB का दिल्ली दंगों में हाथ है. वह यह कहने वाले कौन होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हम नोटिस जारी करने के इच्छुक हैं. क्या सरंक्षण आदेश दिया जा सकता है?
दिल्ली विधानसभा की समिति ने फेसबुक के अधिकारी को फिर तलब किया
दिल्ली विधानसभा पैनल के वकील सिंघवी ने अदालत को बताया उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा.अजीत मोहन को गवाह के रूप में बुलाया गया है. फेसबुक को आरोपी नहीं कहा गया है. हम सुरक्षा उपाय चाहते हैं ताकि फेसबुक का दुरुपयोग न हो. सिंघवी ने कहा कि हम फेसबुक को संशोधित नेटिस भेजने को तैयार हैं. फेसबुक को आरोपी के रूप में नहीं बुलाया गया, लेकिन उसका दुरुपयोग हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा सचिव, केंद्र, राज्यसभा और लोकसभा महासचिव और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. दिल्ली विधानसभा सचिव ने अदालत को पैनल की बैठक नहीं करने का आश्वासन दिया है. समिति की आज की बैठक टाल दी गई है. मामले की 15 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगाी.
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिव के बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि फिलहाल समिति की बैठक को टाल दिया गया है. दिल्ली विधानसभा की शांति और सौहार्द समिति की बैठक टाली गई है. समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने बैठक को सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के मद्देनजर टालने की घोषणा की है.
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