नई दिल्ली:
दिल्ली में औसतन 12 बच्चे रोजाना लापता हो जाते हैं जिनमें लड़कियों की संख्या अधिक होती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल 15 अगस्त तक कुल 3,171 बच्चे लापता हुए जिनमें 1,652 लड़कियां और 1,519 लड़के थे। पुलिस अभी तक 985 बच्चों का पता नहीं लगा सकी है।
हालांकि पुलिस का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल लापता हुए बच्चों की संख्या में मामूली कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार 2011 में प्रतिदिन औसतन 14 बच्चे लापता हुए। 2012 में यह आंकड़ा घटकर 12 हो गया है।
पिछले साल 5,111 बच्चे लापता हो गए थे जिनमें 2,665 लड़कियां और 2,446 लड़के थे। लापता 981 बच्चों का अब तक पता नहीं लग सका है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बच्चों के लापता होने का कोई खास कारण नहीं बताया जा सकता। उन्होंने कहा कि इन कारणों में लोगों द्वारा दिग्भ्रमित किया जाना, अभिभावकों द्वारा दुर्व्यवहार, पढ़ाई का दबाव, मानव तस्करी आदि शामिल हैं।
वर्ष 2009, में 5,946 बच्चे लापता हुए थे और 2010 में लापता हुए बच्चों की संख्या 5,091 थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल 15 अगस्त तक कुल 3,171 बच्चे लापता हुए जिनमें 1,652 लड़कियां और 1,519 लड़के थे। पुलिस अभी तक 985 बच्चों का पता नहीं लगा सकी है।
हालांकि पुलिस का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल लापता हुए बच्चों की संख्या में मामूली कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार 2011 में प्रतिदिन औसतन 14 बच्चे लापता हुए। 2012 में यह आंकड़ा घटकर 12 हो गया है।
पिछले साल 5,111 बच्चे लापता हो गए थे जिनमें 2,665 लड़कियां और 2,446 लड़के थे। लापता 981 बच्चों का अब तक पता नहीं लग सका है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बच्चों के लापता होने का कोई खास कारण नहीं बताया जा सकता। उन्होंने कहा कि इन कारणों में लोगों द्वारा दिग्भ्रमित किया जाना, अभिभावकों द्वारा दुर्व्यवहार, पढ़ाई का दबाव, मानव तस्करी आदि शामिल हैं।
वर्ष 2009, में 5,946 बच्चे लापता हुए थे और 2010 में लापता हुए बच्चों की संख्या 5,091 थी।
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