
- दिल्ली पुलिस ने बाबा चैतन्यानंद के आश्रम में लड़कियों से छेड़छाड़ के आरोपों की जांच शुरू कर दी है
- बाबा चैतन्यानंद के तीन आश्रम वार्डन से भी पुलिस पूछताछ करने वाली है, जिन पर मिलीभगत का संदेह है
- एक पूर्व छात्रा ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र भेजकर बाबा पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था
दिल्ली के आश्रम में चल रह डर्टी गेम का अब पर्दाफाश हो गया है. पुलिस बाबा चैतन्यानंद को गिरफ्तार करने के लिए उसके अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. पुलिस की जांच में पता चला है कि बाबा के कुछ सहयोगी उसकी मदद कर रहे हैं. पुलिस ऐसे लोगों का भी पता लगा रही है. आश्रम में लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले में दिल्ली पुलिस आश्रम के तीन वार्डन से भी पूछताछ की तैयारी है. पुलिस सूत्रों के अनुसार बाबा चैतन्यानंद के काले कारनामों में इन वार्डन की भी मिली भगत हो सकती है.
आपको बता दें कि बाबा चैतन्यानंद के खिलाफ लड़कियों के साथ-साथ उनके मठ ने भी मामला दर्ज कराया है. पुलिस फिलहाल दोनों ही मामलों की जांच कर रही है. बाबा चैतन्यानंद का ये खेल उस वक्त खुला जब आश्रम के स्कूल में पढ़ने वाले एक पूर्व छात्र ने पत्र लिखकर अपनी बात लिखी.
दिल्ली पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाबा चैतन्यानंद और उनके डर्टी गेम को उजागर करने में एक पूर्व छात्र और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के एक ईमेल ने इस पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया. एफआईआर के मुताबिक, एक पूर्व छात्रा, जिसने इसी साल दक्षिण दिल्ली स्थित संस्थान से पढ़ाई पूरी की थी, ने 28 जुलाई को विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा था. ये पत्र 31 जुलाई को रिसीव हुआ.इसमें आरोप लगाया गया कि चैतन्यनंद छात्राओं से छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न कर रहे थे.
इसके तुरंत बाद भारतीय वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन का 1 अगस्त को ईमेल आया, जिसमें कहा गया कि उन्हें भी कई छात्राओं से शिकायतें मिली हैं.इनमें आरोप था कि स्वामी लड़कियों को देर रात व्हाट्सएप मेसेज भेजते हैं और मनमाने और बदले की भावना भरे फैसले लेते हैं. दरअसल कई पीड़ित लड़कियों के घरवालों एयरफोर्स में हैं. इन दोनों शिकायतों के बाद ही 3 अगस्त को संस्थान की गवर्निंग काउंसिल ने 30 से ज्यादा छात्राओं के साथ वर्चुअल बैठक की.
एफआईआर में क्या कुछ लिखा है
पुलिस ने अब तक 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं .इनमें से ज्यादातर गरीब तबके या फौजी परिवारों से आती. उनकी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर है, इसलिए वे मजबूरी में चुप रहीं. चैतन्यनंद और उनके सहयोगियों ने छात्राओं के एजुकेशन से जुड़े सर्टिफिकेट भी अपने कब्जे में ले लिए, जिससे उनकी पढ़ाई और करियर दांव पर लग गया.
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