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क्‍या हरियाणा, पंजाब के किसान दे रहे नासा को चकमा... प्रदूषण पर कोरियाई सेटेलाइट के चौंकानेवाले आंकड़े

पंजाब में साल 2020 में किसानों द्वारा पराली जलाने की 80,346 घटनाएं दर्ज की गई थीं. साल 2021 में पराली जलाने की 69,445 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2022 में 47,788 और 2023 में 33,082 रह गईं. साल 2024 में अब तक किसानों द्वारा पराली जलाने की सिर्फ 8,404 घटनाएं सामने आई हैं.

क्‍या हरियाणा, पंजाब के किसान दे रहे नासा को चकमा... प्रदूषण पर कोरियाई सेटेलाइट के चौंकानेवाले आंकड़े
किसान दे रहे सेटेलाइट को चकमा!
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली में वायु प्रदूषण की वजह क्‍या है...? शायद ही कोई ऐसा शख्‍स हो, जिसको इस सवाल का जवाब नहीं पता होगा. पंजाब और हरियाणा में बड़ी संख्‍या में किसान पराली जला रहे हैं, जिसके कारण देश की राजधानी गैस चैंबर में तब्‍दील हो गई है. लेकिन नासा के आंकड़े दिखा रहे हैं कि पिछले सालों की तुलना में हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, फिर प्रदूषण का स्‍तर क्‍यों नहीं घटा? दिल्‍ली में प्रदूषण पिछले सालों की तुलना में रत्‍ती भर भी कम नहीं हुआ है. दिल्‍ली के कई इलाकों में एक्‍यूआई लेवल 500 के पार पहुंच गया है. फिर नासा की सेटेलाइट कैसे कह रही है कि हरियाणा और पंजाब में किसानों ने पराली इस साल कम जलाई है. प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी दिल्‍ली सरकार के वकील ने तर्क दिया कि किसान दोपहर ढाई बजे के बाद पराली जला रहे हैं, ताकि सेटेलाइट में पकड़े न जा सकें. 

चौंका रहे नासा की सेटेलाइट के आंकड़े 

नासा की सेटेलाइट द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में साल 2020 में किसानों द्वारा पराली जलाने की 80,346 घटनाएं दर्ज की गई थीं. साल 2021 में पराली जलाने की 69,445 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2022 में 47,788 और 2023 में 33,082 रह गईं. साल 2024 में अब तक किसानों द्वारा पराली जलाने की सिर्फ 8,404 घटनाएं सामने आई हैं. इसी तरह हरियाणा में साल 2020 में 3710, 2021 में 6094, 2022 में 3272, 2023 में 2031 और 2024 में अब तक सिर्फ 1082 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब प्रदूषण का स्‍तर नहीं घट रहा, तो फिर पराली जलाने की घटनाएं साल-दर-साल कम कैसे हो रही हैं.    

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किसान दे रहे सेटेलाइट को चकमा!

    
नासा की सेटेलाइट पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, यूपी और दिल्‍ली समेत भारत के ज्‍यादातर राज्‍यों पर नजर रखती है. इस सेटेलाइट में ये पकड़ में आ जाता है कि कहां-कहां पराली जलाई जा रही है. लेकिन नासा के वैज्ञानिकों का शक है कि पंजाब और हरियाणा के किसान सेटेलाइट को चकमा दे रहे हैं. इन राज्‍यों में पराली जल रही है, लेकिन सेटेलाइट में पकड़ में नहीं आ रही है. सेटेलाइट की नजर से बचने के लिए किसान पराली जलाने के लिए सटीक समय का इंतजार करते हैं. 

किसानों ने पकड़ ली सेटेलाइट की टाइमिंग?

दरअसल, नारा की सेटेलाइट पंजाब और हरियाणा के ऊपर से लगभग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के आसपास गुजरती है. नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को ये टाइमिंग पता चल गई है. इसलिए ज्‍यादातर किसान अपनी खेत में पराली डेढ़ बजे के बाद जला रहे हैं. 1 बजकर 30 मिनट के बाद पराली जलाने के कारण ये नासा की सेटेलाइट से बच जाती है. पराली की आग कुछ घंटों में बुझ जाती है. ऐसे में जब दोबारा नासा की सेटेलाइट इन जगहों के ऊपर से गुजरती है, तो उसे एरिया साफ नजर आता है. इस तरह हरियाणा और पंजाब के किसान नासा की सेटेलाइट को चकमा दे रहे हैं. 

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कोरियाई सेटेलाइट ने खोली पोल

दक्षिण कोरिया ने नासा के दावे पर मुहर लगा दी है. कोरियाई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पंजाब और हरियाणा के किसान दोपहर के बाद ही पराली जला रहे हैं. दक्षिण कोरिया की एक सेटेलाइट हर 10 मिनट में इन शहरों के ऊपर से गुजरती है. इस सेटेलाइट के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा और पंजाब में दोपहर के बाद पराली जलाई जा रही हैं. साथ ही कोरियाई सेटेलाइट के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा और पंजाब में पिछले सालों के मुकाबले पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं.     

दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री आतिशी भी कुछ यही दावा कर रही हैं कि देशभर में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं. मुख्यमंत्री आतिशी ने बढ़ते प्रदूषण के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि देशभर के अलग-अलग राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेप 4 लागू करने में देरी पर दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई है. आतिशी ने कहा है कि देशभर के अलग-अलग राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. केंद्र सरकार इन राज्यों पर कोई भी लगाम नहीं लग रही है, जबकि पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां पर पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, उन पर रोक लगाई गई है. दिल्ली वाले सांस नहीं ले पा रहे हैं. बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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