सैनिटरी नैपकिनों पर GST के तहत 12 फीसदी कर लगाने की तैयारी है (प्रतीकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:
महावारी के दौरान इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी नैपकिनों को जीएसटी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले का विरोध होने लगा है. महिला संगठनों का कहना है कि नैपकिन महिलाओं की महावारी सुरक्षा की जागरुकता से जुड़े हुए हैं और इसे टैक्स फ्री वस्तु के दायरे में लाना चाहिए. महिला संगठनों का कहना है कि एक तरफ से सरकार स्वास्थ्य और स्वच्छता अभियानों में सैनिटरी नैपकिनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ इस पर बेहिसाब कर थोपे जा रहे हैं, जो कि न्यायसंगत नहीं है.
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित सैनिटरी नैपकिनों को कर-मुक्त वस्तु घोषित करे. मनसे की नेता शालिनी ठाकरे ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात की और उनसे अपील की कि पर्यावरण हितैषी सैनिटरी नैपकिनों के बाबत जीएसटी और अन्य अधिभारों को खत्म किया जाए.
एक जुलाई से लागू होने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत सैनिटरी नैपकिनों पर 12 फीसदी कर लगाने की तैयारी है.
(इनपुट भाषा से भी)
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित सैनिटरी नैपकिनों को कर-मुक्त वस्तु घोषित करे. मनसे की नेता शालिनी ठाकरे ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात की और उनसे अपील की कि पर्यावरण हितैषी सैनिटरी नैपकिनों के बाबत जीएसटी और अन्य अधिभारों को खत्म किया जाए.
एक जुलाई से लागू होने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत सैनिटरी नैपकिनों पर 12 फीसदी कर लगाने की तैयारी है.
(इनपुट भाषा से भी)
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