उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव से बुरी तरह प्रभावित होटलों को गिराने की कार्रवाई मंगलवार को नहीं हो पायी. स्थानीय लोगों और होटल मालिकों की तरफ से सरकार की इस कार्रवाई का लगातार विरोध किया जा रहा है. होटल संचालकों की तरफ से मुआवजे की मांग सरकार से की जा रही है. विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने फैसला किया है कि बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. विध्वंस मैन्युअल रूप से किया जाएगा. जानकारी के अनुसार प्रशासन वन टाइम सेटलमेंट प्लान पर काम कर रही है.सरकार ने मकानों को गिराने के लिए उचित योजना बनाने के लिए सीबीआरआई की एक टीम बुलायी है. अब तक कुल 731 घरों में दरारें आ गई हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सोमवार को ‘माउंट व्यू' और ‘मालारी इन' होटलों को गिराने का फैसला किया था. जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गयीं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गये हैं. इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है. इलाके में अवरोधक लगा दिये गये हैं और इन होटल तथा आसपास के मकानों में बिजली आपूर्ति रोक दी गयी है जिससे करीब 500 घर बिजली के अभाव का सामना कर रहे हैं.
लोगों को घरों से निकालने के प्रयास जारी रहने के बीच अब तक कुल 131 परिवार अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंच गये हैं, वहीं जोशीमठ में दरार पड़ने और जमीन धंसने से प्रभावित घरों की संख्या 723 हो गयी है. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की चमोली इकाई ने मंगलवार को एक बुलेटिन में यह जानकारी दी. क्षेत्र में 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है. जिला प्रशासन ने ऐसे घरों के बाहर लाल निशान लगा दिये हैं.मालारी इन के मालिक ठाकुर सिंह ने कहा, ‘‘मुझे आज सुबह अखबार से इस बारे में पता चला. कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया. अगर सरकार ने मेरे होटल को असुरक्षित समझा है तो उसे इसे गिराने का फैसला करने से पहले एकमुश्त निपटान योजना लानी चाहिए.
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