कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट में संशोधन करने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव का विरोध किया है. इसमें इलेक्शन मैनिफेस्टो में किए गए वादों के वित्तीय असर की जानकारी देने का प्रावधान भी शामिल है. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी डी राजा ने एनडीटीवी से कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दल, आम लोगों से जो वादा करते हैं, वह राजनीतिक दलों और आम लोगों के बीच की बात है. यह एक पॉलिसी मैटर है. यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.
डी राजा ने कहा कि Freebies (मुफ्त की रेवड़ी) पर बहस चल रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बताएं कि उन्होंने खुद चुनाव में वादा किया था कि वह हर साल दो करोड़ नौकरियां देंगे. उस वादे का क्या हुआ? बीजेपी ने कहा था कि ब्लैक मनी वापस लाएंगे. हर नागरिक को 15 लाख रुपये मिलेंगे. वह 15 लाख रुपये कहां गए?
जनरल सेक्रेटरी ने कहा कि इंद्रजीत गुप्ता कमिटी ने स्टेट फंडिंग ऑफ इलेक्शन का प्रस्ताव तैयार किया था. उस पर सरकार ने क्या किया? चुनाव सुधार के मुद्दे पर सरकार को ऑल पार्टी मीटिंग बुलानी चाहिए. हमें जो राजनीतिक चंदा मिलता है, उसको हमने डिक्लेअर किया हुआ है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया. इलेक्टोरल बॉन्ड्स किस पार्टी को ज्यादा मिल रहा है, यह सभी को पता है. हमने संसद में इसका विरोध किया था. पॉलिटिकल पार्टियों को कॉरपोरेट फंडिंग गलत है. हम इसके विरोध में हैं.
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