टाटा संस और साइरस मिस्त्री विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा यह एनसीएलएटी द्वारा बेतुकी राहत है, 18% हिस्सेदारी वाले व्यक्ति को मामले में ऊपर रखा. NCLAT ने विभिन्न टिप्पणियां कीं और कहा कि ट्रस्टी कठपुतली हैं. एक सूचीबद्ध इकाई में, बोर्ड के निदेशकों और नामितों को निर्णय लेना होता है. मिस्त्री की 18% होल्डिंग 70 हजार से 80 हजार करोड़ के बीच होगी. रतन टाटा के तहत टाटा ग्रुप का मार्केट कैप 500 गुना बढ़ गया.
एनसीएलएटी ने कहा कि एक सामान्य कॉर्पोरेट लोकतंत्र में 18% हिस्सेदारी के साथ, मिस्त्री बोर्ड में एक निदेशक प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं. बाकी हिस्सेदार पूरे बोर्ड को पैक कर सकेंगे. 18% शेयरधारक लाभांश पाने के हकदार होंगे, जब तक टाटा संस डिविडेंड के तौर पर बड़ी रकम बांट रहे हैं.
CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच टाटा संस और साइरस मिस्त्री की शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप के बीच विवाद पर सुनवाई कर रही है. एसपी समूह ने टाटा समूह से एक औपचारिक अलगाव की मांग की, जिसमें टाटा लिस्टेड कंपनियों में टाटा-समर्थक हिस्सेदारी की अदला-बदली का प्रस्ताव रखा गया है.
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