अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतें, रूस के साथ व्यापार में क्या होगा भारत का कदम?

पिछले साल की तुलना में इस साल मार्च 2023 में कच्चे तेल के आयात में 7.9% की बढ़ोतरी हुई, जबकि अप्रैल-मार्च 2022 के मुकाबले अप्रैल-मार्च 2023 के दौरान कच्चे तेल के आयात में 9.4% की वृद्धि हुई.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतें, रूस के साथ व्यापार में क्या होगा भारत का कदम?

अप्रैल-मार्च 2023 के दौरान कच्चे तेल के आयात में 9.4% की वृद्धि हुई.

नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में उथल-पुथल फिर बढ़ रही है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के बड़े तेल उत्पादक देशों ने अप्रैल के पहले हफ्ते से कच्चे तेल के उत्पादन को घटा दिया है. इससे अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चा तेल फिर महंगा हो रहा है. ऐसे में कच्चे तेल के आयात पर निर्भर भारत जैसे देश के लिए रूस से सस्ते रेट पर कच्चे तेल के आयात का महत्व काफी बढ़ गया है.

पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2023 में कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की औसत कीमत $78.56/बैरल थी, लेकिन 1 से 26 अप्रैल के बीच इसकी औसत कीमत बढ़कर $84.23/बैरल तक पहुंच गई. 26 अप्रैल को इसकी कीमत US $ 80.71/बैरल रही.

तेल अर्थशास्त्री किरीट पारीख ने NDTV से कहा, "फरवरी में भारत ने अपनी जरूरत का लगभग एक-तिहाई कच्चा तेल सस्ते रेट पर रूस से आयात किया. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल महंगा होने से रूस से सस्ते रेट पर आयात होने वाला कच्चा तेल भारत के लिए और महत्वपूर्ण होता जा रहा है. भारत को रूस से कच्चे तेल का आयात और बढ़ाना चाहिए".

निर्मला सीतारमण ने मूल्य कैप पर दिया था बयान
हाल ही में अपने अमेरिकी दौरे के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारत सरकार G-7 देशों द्वारा रूस के तेल पर लगाए गए मूल्य कैप के आसपास या उससे अधिक रेट पर रूस से कच्चा तेल खरीदने की संभावना तलाशेगी.  

डिमांड-सप्लाई के बीच बढ़ रहा गैप
वित्त मंत्री का बयान ऐसे समय पर आया, जब कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले OPEC+ से जुड़े देशों ने अप्रैल के पहले हफ्ते से ही प्रति दिन 1.16 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन घटना शुरू कर दिया. इससे बाजार में डिमांड-सप्लाई के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है.

तेल के लिए भारत 80% आयात पर निर्भर
OPEC + देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चा तेल फिर महंगा हो रहा है. अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा कच्चे तेल के आयात पर निर्भर भारत जैसे देश के सामने इससे निपटने की चुनौती भी बड़ी हो रही है. 

तेजी से बढ़ रही तेल की मांग
ये महत्वपूर्ण है कि कच्चा तेल ऐसे समय पर महंगा हुआ है, जब भारत में तेल की मांग तेज़ी से बढ़ती जा रही है. पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल मार्च 2023 में कच्चे तेल के आयात में 7.9% की बढ़ोतरी हुई, जबकि अप्रैल-मार्च 2022 के मुकाबले अप्रैल-मार्च 2023 के दौरान कच्चे तेल के आयात में 9.4% की वृद्धि हुई.

भारत के लिए रूस का तेल क्यों महत्वपूर्ण?
उद्योग संघ PHDCCI के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ. एसपी शर्मा कहते हैं, "भारत और रूस के बीच Rupee-Rouble ट्रेड से भारत के लिए रूस का तेल महत्वपूर्ण हो गया है. हम रुपये में तेल खरीद सकते हैं. भारत को रूस से कच्चे तेल का आयात और बढ़ाना चाहिए".

ज़ाहिर है, इस उथल-पुथल से भारत का कच्चे तेल के आयात पर खर्च बढ़ रहा है. ऐसे में सरकार को इसके असर से निपटने के लिए नई रणनीति बनानी होगी.
 

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