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This Article is From Jul 05, 2020

सरकार ने कहा - 'भारत की कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण इस महामारी के अंत की शुरुआत' 

देश में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच सरकार ने कहा कि, 'भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण को मंजूरी मिलना कोरोनावायरस वैश्व‍िक महामारी के अंत की शुरुआत है.

सरकार ने कहा - 'भारत की कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण इस महामारी के अंत की शुरुआत' 
'कोवैक्सीन' को हाल ही में DCGI से मानव पर परीक्षण की अनुमति मिली है.
नई दिल्ली:

देश में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच सरकार ने कहा कि, 'भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण को मंजूरी मिलना कोरोनावायरस वैश्व‍िक महामारी के अंत की शुरुआत है, जिसने दुनियाभर में 1.12 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है और 5.3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली है.' मंत्रालय द्वारा लिखी चिट्ठी में बताया गया, 'वर्तमान में दुनिया में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से 11 को मानव परीक्षणों की इजाजत मिली है.

मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 'ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सीडीएससी (CDSC) द्वारा वैक्सीन के लिए मानव परीक्षण की इजाजत इस जानलेवा वायरस के अंत की शुरुआत है.' मंत्रालय ने कहा कि 'भारत की छह कंपनियां करोना की वैक्सीन के लिए काम कर रही हैं. दुनियाभर में 140 दावेदारों में से 11 जिनमें  COVAXIN और ZyCov-D भी शामिल हैं, जिन्हें ह्यूमन ट्रायल्स की मंजूरी मिली है. 

मंत्रालय ने यह भी कहा कि दो प्रमुख दावेदारों- AZD1222 (ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका) और MRNA-1273 (US-based Moderna) के निर्माताओं ने भी भारतीय कंपनियों के साथ उत्पादन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. उनके टीके सुरक्षित और प्रभावी साबित होने चाहिए. दोनों को द्वितीय चरण, तृतीय परीक्षणों के लिए इजाजत मिली हुई है.  

आमतौर पर दवा परीक्षण के पहले दो चरण सुरक्षा के लिए होते हैं, जबकि तीसरा दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण करता है. हर चरण को पूरा होने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं.

मंत्रालय का यह बयान उस विवाद के बाद आया है जिसमें इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) तक कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaxin) को विकसित करने और जारी करने का लक्ष्य रखा गया था. 

मेडिकल एक्सपर्ट्स और विपक्षी दलों ने इसे लेकर दावा किया था कि इस वर्ष के अंत में बिहार में महत्वपूर्ण चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक लाभ के लिए यह तारीख निर्धारित की गई. उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि क्लीनिकल ट्रायल के जरिये दवा लाने की जल्दबाजी लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से खतरे पैदा हो सकते हैं. बता दें कि ‘कोवैक्सीन' को भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के साथ मिलकर विकसित किया है.

VIDEO: क्या 15 अगस्त तक वाकई भारत कोरोना की वैक्सीन लॉन्च करने की स्थिति में होगा?

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