दिल्ली हाईकोर्ट के नए बने एस ब्लॉक के उद्घाटन समारोह में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के जरिए ही सबको सुलभ न्याय के लक्ष्य को पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए ही सभी को न्याय सुलभ कराया जा सकता है, चाहे वो फिजिकल हो या डिजिटल. आम आदमी सबसे पहले निचली अदालत में जाता है, लेकिन वहां बेसिक सुविधाओं का अभाव है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले ब्रिटिश दौर में जो सिस्टम और बिल्डिंग थी, वो लोगों में डर और अभाव का भाव जगाती थी, क्योंकि वहां बहुत ही कम लोगों की पहुंच थी, लेकिन अब सिस्टम बदल गया है. पुराने दौर को याद करते हुए सीजेआई ने कहा कि जब मैं 12 या 13 साल का था, तब सर्किट कोर्ट की जगह हाईकोर्ट की बिल्डिंग का उद्घाटन हुआ था.
उन्होंने कहा कि आम आदमी के लिए कोर्ट वैसे ही तनाव का मामला होता है. क्योंकि वो अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आता है. जबकि यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा है कि लोगों को राहत नहीं मिल पाती. जहां महिला, दलित या कोई पिछड़ा हुआ वर्ग हो वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए जो सबके लिए सुगम हो.
वहीं कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में और जगहों के मुकाबले जनसंख्या के अनुपात में वकीलों की संख्या ज्यादा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में हम अदालतों के डिजिटलाइजेशन पर काम कर रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ अपने कार्यकाल में ही ई कमेटी का काम पूरा कर जाएंगे. जल्द ही अदालतें पेपरलेस हो जाएंगी. हालांकि 5 करोड़ लंबित मुकदमे भी चिंता का विषय हैं.
रिजिजू ने कहा कि आज मद्रास हाईकोर्ट ने एक दिन में सबसे ज्यादा जजमेंट देने का रिकॉर्ड बनाया ये बड़ी पहल है. कुछ ऐसी जिला अदालतें भी हैं, जिनकी स्थिति देखकर शर्म आती है. कुछ तो बहुत अच्छी है लेकिन कुछ को बहुत जरूरत है.
समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की ज्यूडीशियरी का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरे देश में बेस्ट है. देश में जिस चीज की प्राथमिकता ज्यादा होती है, उसको ज्यादा फंड मिलते हैं. पिछले सात साल में हमने तीन गुना फंड बढ़ाया है. हमारी नीयत है ज्यूडीशियरी को ज्यादा दे सकते हैं. ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, उतनी ही इंडिपेंडेंट ज्यूडीशियरी काम कर सकेगी.
उन्होंने कहा कि आज स्टेज पर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, केंद्र और राज्य सरकार मौजूद है. इस देश का आम आदमी ज्यूडीशियरी के पास जाता है. न्याय मिलने में बहुत समय लग जाता है. इस बाबत बहुत सारी कमेटियां बन चुकी हैं. बहुत से प्रस्ताव पास हो चुके हैं, अब एक प्रस्ताव रखते हैं कि दिल्ली को पायलट बना लेते हैं. कोई भी केस 6 महीने से ज्यादा नहीं चलनी चाहिए. इसके लिए फंड के लिए हम तैयार हैं. हमने दिल्ली में शिक्षा और हेल्थ में जो काम किया, उसकी तारीफ हो रही है. हम ज्यूडीशियरी में भी ऐसा ही काम करना चाहते हैं जिसकी तारीफ हो.
वहीं उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि स्पीडी जस्टिस में सबका सहयोग जरूरी है. इंफ्रास्ट्रक्चर अगर अच्छा है तो लोगों को न्याय मिलने में आसानी होती है. कई कोर्ट में हमने भर्ती की है, आगे भी इसे बढ़ाएंगे. चाहे ज्यूडिशियल ऑफिसर हो या ज्यूडिशियल स्टाफ हों.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि 30 साल तक जहां हमने काम किया, वहां आना अच्छा लगता है. घर आना तो अच्छा ही लगता है. बार और बेंच के सहयोग से इस तरह के काम अच्छे तरीके से किया जा सकता है. दिल्ली में टैलेंट की कमी नहीं है. इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ जजों की संख्या होनी भी जरूरी है.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मैं इस मौके को नहीं गवाना चाहता था. मैं दिल्ली वाला हूं, यहां काम किया है. अरविंद जी ने एजुकेशन मॉडल और हेल्थ मॉडल की बात कही, मैं उस पर नहीं जा रहा. मैं कह रहा हूं कि दिल्ली की जनसंख्या बहुत अधिक है. झुग्गी वाले जेजे क्लस्टर में रहते हैं. एक करोड़ पैंतीस लाख घरों को डीडीए के जरिए घर देने की योजना है. हम विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले तीन-चार साल में हम तीसरे नंबर पर होंगे. न्याय सभी के लिए जरूरी है. जस्टिस डिलीवरी सिस्टम बहुत जरूरी है.
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