तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की टीआरएस के विधायकों को कथित तौर पर रिश्वत देने की कोशिश के आरोप में हिरासत में लिए गए तीन लोगों को कल देर शाम रिहा कर दिया गया. अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए पुलिस की याचिका को ठुकरा दिया. हालांकि, अदालत ने पुलिस को धारा 41 के तहत कथित तौर पर भाजपा से जुड़े आरोपियों से पूछताछ करने के लिए कहा है. इस धारा के तहत पुलिस को बगैर वारंट आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है.
आरोपियों को बुधवार रात हैदराबाद के पास एक फार्महाउस से हिरासत में लिया गया. पुलिस ने कहा कि पकड़े गए सभी आरोपी टीआरएस के चार विधायकों को भाजपा में ले जाने के लिए रिश्वत देने के कार्य में पकड़े गए. पुलिस ने बताया कि फार्महउस के मालिक और विधायक पाइलट रोहित रेड्डी ने उन्हें इस बात की सूचना दी थी.
रेड्डी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई, इसमें आरोप लगाया गया था कि चार विधायकों को देने के लिए 250 करोड़ रुपये उनके सामने टेबल पर रखे गए थे. तेलंगाना के पुलिस प्रमुख स्टीफन रविंद्र ने एनडीटीवी को बताया कि विधायकों ने पुलिस को फोन किया और कहा कि उन्हें पार्टी बदलने के लिए पैसै और पद की रिश्वत दी जा रही है. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि ईडी व सीबीआई के जरिए छापे और मुकदमे दर्ज करवाकर टीआरएस के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया जाएगा.
हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों से इंकार किया है और टीआरएस पर पूरे मामले की पटकथा लिखने, निर्मित और निर्देशन करने का आरोप लगाया है. भाजपा के राज्य महासचिव प्रमेंद्र रेड्डी ने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए कहा उच्च न्यायालय का रुख किया है. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस सत्ता पक्ष के इशारे पर काम कर रही है.
केंद्रीय मंत्री और तेलंगाना भाजपा के वरिष्ठ नेता किशन रेड्डी ने कहा कि टीआरएस के पास पूर्ण बहुमत है, ऐसे में चार विधायकों को रिश्वत देने का उनके पास कोई कारण नहीं बनता. वर्ष 2019 से टीआरएस ऑपरेशन लोटस का इस्तेमाल कर रही है. ऑपरेशन लोटस का इस्तेमाल विपक्ष के नेता भाजपा द्वारा उनकी सरकारों को गिराने के लिए उनके विधायकों को रिश्वत देने के लिए किया जाता है.
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