तेलंगाना में के. चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (BRS) को बड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य पुलिस अधिकारियों पर वर्तमान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, मशहूर हस्तियों और व्यापारियों सहित तत्कालीन विपक्षी नेताओं के फोन टैप करने के चौंकाने वाले आरोप सामने आए हैं. केसीआर पर कुछ बेहद चौंकानेवाले आरोप ये भी लग रहे हैं कि निगरानी का इस्तेमाल व्यवसायियों को बीआरएस पार्टी फंड में भारी मात्रा में योगदान देने के वास्ते ब्लैकमेल करने के लिए भी किया गया था. बीआरएस की ओर से अभी तक आरोपों का जवाब नहीं दिया है.
फोन टैपिंग मामले में तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है और राज्य खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख टी प्रभाकर राव के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है, जो कथित तौर पर इस समय अमेरिका में हैं. पुलिस ने कहा है कि दो वरिष्ठ अधिकारियों, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भुजंगा राव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तिरुपथन्ना ने अवैध निगरानी और सबूतों को नष्ट करने की बात स्वीकार की है.
रिपोर्टों के अनुसार, तत्कालीन बीआरएस सरकार के तहत राज्य खुफिया ब्यूरो के तकनीकी सलाहकार रवि पॉल ने कथित तौर पर रेड्डी की बातचीत सुनने के लिए उनके आवास के पास फोन-टैपिंग उपकरण आयात करने और स्थापित करने में मदद की थी.
यह आरोप लगाया गया है कि यह उपकरण एक सॉफ्टवेयर कंपनी का उपयोग करके इजरायल से मंगवाया गया था। ऐसा पता चला है कि केंद्र से कोई अनुमति नहीं ली गई (जो ऐसे आयात के लिए ज़रूरी है). रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सेटअप से 300 मीटर के दायरे में कही गई कोई भी बात सुनी जा सकती है.
आरोप है कि रवि पॉल ने रेड्डी के आवास के पास एक कार्यालय स्थापित किया और वहीं, फोन टैपिंग उपकरण स्थापित किया गया था. पुलिस इस सिलसिले में उनसे पूछताछ करने की तैयारी में है. तेलुगु टीवी चैनल आई न्यूज चलाने वाले शरवन राव और सिटी टास्क फोर्स के एक पुलिस अधिकारी राधा किशन राव के लिए भी लुकआउट नोटिस जारी किए गए हैं.
बताया जा रहा है कि निगरानी विपक्षी नेताओं तक ही सीमित नहीं थी. रियल एस्टेट डीलरों और ज्वैलर्स सहित शीर्ष व्यवसायी और मशहूर हस्तियां भी निगरानी में थीं. दरअसल, रिपोर्टों के मुताबिक, फोन पर बातचीत की टैपिंग के कारण एक सेलिब्रिटी जोड़े का तलाक हो गया. बीआरएस की मुश्किलें बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री रेड्डी को एक व्यापारी और भाजपा नेता शरण चौधरी से एक शिकायत मिली है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पिछले साल उनका अपहरण कर लिया था. अपहरण के बाद उन्हें पूर्व मंत्री के एक रिश्तेदार को जमीन के एक प्लॉट के पेपर्स पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था.
वहीं, व्यवसायी ने कहा है कि घटना के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उमा महेश्वर राव ने उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने की धमकी दी और याचिका वापस लेने के लिए मजबूर किया.
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