जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir High Court)ने केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह आमिर मागरे (Amir Magray) के शव को करीब छह माह बाद कब्र से बाहर निकाले. आमिर और तीन अन्य, श्रीनगर के हैदरपोरा में एक विवादित एनकाउंटर में मारे गए थे. गौरतलब है कि पुलिस ने आमिर मागरे का शव उसके पिता लतीफ को सौंपने से इनकार कर दिया था. लतीफ की जम्मू-कश्मीर के रामबन डिस्ट्रिक्ट के आतंकवाद रोधी कार्यकर्ता के तौर पर पहचान है. पुलिस ने कहा था कि आमिर, एक पाकिस्तानी आतंकी का करीबी सहयोगी था और उसकी गतिविधियां बताती है कि वह भी आतंकी था. ऐसे में उसका शव अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार के लिए नहीं दिया गया था.
बहरहाल, जस्टिस संजीव कुमार की बेंच ने शुक्रवार को सरकार को शव को बाहर निकालने और उसे रामवन जिले के गांव में पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए. गौरतलब है कि नवंबर 2021 में हैदरपोरा में हुए इस एनकाउंटर के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि ये सुरक्षा बलों के 'फर्जी' एनकाउंटर में मारे गए थे. आमिर, डेंटल सर्जन डॉक्टर मुदासिर के ऑफिस में काम करता था जो खुद इस एनकाउंटर में मारे गए थे. कारोबारी और बिल्डिंग के मालिक अल्ताफ भट की भी इस एनकाउंटर में मौत हुई थी. भारी विरोध के बाद डॉक्टर मुदासिर और कारोबारी अल्ताफ के शवों को निकाला गया था औरअंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को सौंप दिया गया था.
वैसे इस विवादित एनकाउंटर की जांच के लिए डीआईजी की अगुवाई में गठित विशेष जांच दल ने सुरक्षा बलों को किसी भी तरह के गलत काम के आरोप से बरी कर दिया है. एसआईटी का निष्कर्ष है कि एक डॉक्टर और कारोबारी या तो आतंकियों द्वारा मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल किए गए थे या एनकाउंटर के दौरान आतंकियों की गोली से मारे गए.
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