झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन की उस याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय सोमवार को आदेश सुनाएगा, जिसमें उन्होंने लोकपाल द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती दी है. लोकपाल ने सोरेन के खिलाफ कार्यवाही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे की एक शिकायत के आधार पर शुरू की है, जिसमें उन्होंने (दुबे) भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. फैसला न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की एकल पीठ द्वारा सुनाया जाएगा.
अगस्त 2020 में की गई शिकायत में, भाजपा नेता दुबे ने दावा किया कि 'शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग करके भारी संपत्ति अर्जित की और भ्रष्टाचार में लिप्त हुए.''
शिकायत के साथ ही लोकपाल की कार्यवाही को लेकर सोरेन ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि उनके खिलाफ मामला 'पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण' और 'राजनीति से प्रेरित' है. उन्होंने दलील दी कि शिकायत पर लोकपाल द्वारा विचार नहीं किया जाना चाहिए था, क्योंकि आरोप शिकायत की तारीख से सात साल पहले की अवधि से संबंधित हैं और इसलिए उन पर गौर नहीं किया जा सकता.
जवाब में, लोकपाल ने कहा कि कार्यवाही कानून के अनुसार की जा रही है और शिकायत अभी भी ‘‘निर्णय के लिए खुली हुई है'' क्योंकि ‘‘कोई अंतिम राय नहीं बनी है' और वह ‘‘इस स्तर पर शिकायत के गुणदोष पर टिप्पणी नहीं कर सकता.''
उसने कहा कि लोकपाल का गठन ‘‘भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बाद सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की पड़ताल के लिए किया गया था और ‘‘शिकायत को समयसीमा के आधार पर खारिज करने की आवश्यकता नहीं है.''
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