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This Article is From Mar 06, 2020

कोरोना वायरस ने इसे बड़े भारतीय उद्योग को गंभीर रूप से 'बीमार' कर दिया

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, मोबाइल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियां सबसे ज्यादा तनाव में

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कोरोना वायरस ने इसे बड़े भारतीय उद्योग को गंभीर रूप से 'बीमार' कर दिया
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

चीन में जारी कोरोना वायरस संकट अब भारतीय उद्योग को डरा रहा है. संकट 75 से ज्यादा देशों में फैल चुका है और अब इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, विशेषकर मोबाइल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कंपनियां सबसे ज्यादा तनाव में हैं. चीन से कच्चे माल नहीं मिलने से उद्योग जगत विकराल समस्या से घिर गया है. उत्पादन घट गया है और यह हालात जितने लंबे समय तक बने रहेंगे भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर संकट के बादल उतने ही गहरे होते जाएंगे.     

नोएडा स्थित डेकी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में कपैसिटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनते हैं. इसके लिए जरूरी कच्चे माल का एक काफी बड़ा हिस्सा चीन से आता है. चीन में जारी कोरोना वायरस संकट की वजह से वहां कंपनियों का प्रोडक्शन घट गया है.

आईसीटीई पर सीआईआई की नेशनल समिति के चेयरमैन और डेकी इलेक्ट्रॉनिक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद शर्मा एनडीटीवी से कहते हैं कि "कोरोना वायरस संकट अगर अप्रैल तक चला तो इलेक्ट्रॉनिक्स पर बुरा असर पड़ेगा. एक से 10 के स्केल पर अगर प्रॉब्लम को आंका जाए तो प्रॉब्लम अभी तीन से चार है. हमने खुद आपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है. हमारी जो सोच है कि हम सब चीज़ें सबसे सस्ती खरीदना चाहते हैं, ये संकट उसी का नतीजा है."

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इस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में चीन से आने वाले कच्चे माल की फ्यूमिगेशन की जाती है. यहां वर्करों को भी सामान का इस्तेमाल करने के दौरान पूरी सावधानी बरतने को कहा गया है.  सीआईआई के मुताबिक चीनी बाजार में सस्ते कच्चे माल पर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में कारोबार की निर्भरता से संकट खड़ा हो रहा है.

कोरोना वायरस संकट का बिजनेस पर काफी असर हो रहा है.  इलेक्ट्रॉनिक्स मनुफैक्चरिंग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. इसमें 40 से 50 फीसदी बिज़नेस चीनी कंपनियों की तरफ से होने वाले कच्चा माल की सप्लाई पर निर्भर है. मोबाइल फ़ोन की मैन्युफैक्चरिंग 80 से 85 प्रतिशत तक चीन पर निर्भर है जबकि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स 50 से 60 प्रतिशत और ऑटो-इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर 20 से 30 फीसदी तक चीन पर निर्भर है.  

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विनोद शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "उम्मीद थी कि ग्लोबलाइजेशन की वजह से मैन्युफैक्चरिंग का बेस दुनिया भर में फैलेगा लेकिन अधिकतर मैन्युफैक्चरिंग बेस चीन में ही सेटअप होकर रह गया. ये जो मैन्युफैक्चरिंग का 'चाइनाइजेशन' हुआ, ये खतरनाक है. ये संकट हमारे लिए एक खतरे की घंटी है."

अब  इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर चीन से कच्चे माल की सप्लाई फिर से बहाल होने का इंतजार कर रहा है.  कोरोना वायरस को लेकर अगर हालात नहीं सुधरे तो भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए खतरा बड़ा होता जाएगा.

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