Coronavirus Pandemic: केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी और लॉकडाउन (Lockdown) तीन मई तक बढ़ाने के बीच लोगों की दिक्कतों को कुछ हद तक कम करने के लिए कुछ शर्तों के साथ कुछ सेवाएं और कामकाज शुरू करने के लिए अनुमति देने का फैसला लिया है. यह सेवाएं Covid-19 से अप्रभावित इलाकों या न्यूनतम प्रभावित इलाकों (नॉन कोविड-19 क्षेत्रों) में चल सकेंगी. सरकार ने आज यानी 20 अप्रैल से देश के कोरोना फ्री ग्रामीण इलाकों में कुछ शर्तों के साथ उद्योग-धंधे खोलने की इजाजत दी है. माना जा रहा है कि कई इलाकों में छोटे उद्योग खुलेंगे और स्थानीय मज़दूरों को रोज़गार मिलेगा. इसके अंतर्गत शुरुआत में कम मजदूरों को रोजगार मिलेगा. छोटे उद्योगों में जो मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया है उसे प्री-कोविड के स्तर पर आने में बहुत समय लगेगा.
छोटे और मध्यम उद्योगों के संघ फेडरेशन ऑफ़ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मध्यम इंटरप्राइजेज (FISME) ने कहा है कि पहले चरण में छोटे उद्योग और फैक्टरियां अपनी क्षमता का 25% भी काम कर पाएंगी इसकी संभावना है क्योंकि पिछले करीब एक महीने से लागू लॉकडाउन की वजह से पूरी सप्लाई चैन चरमरा गई है और उसे नए सिरे से बहाल करने में कई महीने लगेंगे. FISME के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज ने NDTV से कहा, "रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बाजार में लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, लेकिन इस लिक्विडिटी का कितना हिस्सा छोटे और मध्यम उद्योगों तक पहुंच पाएगा इसको लेकर संशय है. इसकी वजह है कि 27 मार्च को RBI ने जो बड़े फैसले लिए थे उसका फायदा छोटे और मध्यम उद्योगों को नहीं मिला है और इतनी लैंडिंग उन तक नहीं पहुंची है".
उन्होंने कहा, ''छोटे उद्योगों को सबसे ज्यादा चिंता सप्लाई चैन और बिजनेस साइकल को फिर से बहाल करने की होगी. लगता नहीं कि फिलहाल छोटे और मध्यम उद्योग अपनी 25 फ़ीसदी क्षमता से भी काम कर पाएंगे. दरअसल, छोटे उद्योग एक सप्लाई चैन का हिस्सा होते हैं जिससे ट्रांसपोर्ट, रॉ मैटेरियल की सप्लाई करने वाले लोग और खरीदार जुड़े होते हैं. जब तक पूरी सप्लाई चैन नहीं खोली जाएगी, छोटे और मध्यम उद्योग अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर पाएंगे."
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