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This Article is From Apr 02, 2020

Coronavirus: निजामुद्दीन मरकज में मानव जाति को खतरे में डाला गया, FIR में दर्ज की यह बातें

दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन मरकज से जुड़े सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की, वजीराबाद की एक मस्जिद में रह रहे तब्लीगी जमात के 15 लोगों को क्वारंटाइन के लिए भेज दिया

Coronavirus: निजामुद्दीन मरकज में मानव जाति को खतरे में डाला गया, FIR में दर्ज की यह बातें
दिल्ली की वजीराबाद की एक मस्जिद से तब्लीगी जमात में शामिल हुए 15 लोगों को क्वारंटाइन पर भेज दिया गया.
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) COVID 19 के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 12 मार्च को ही एडवाइजरी जारी कर दी थी लेकिन निजामुद्दीन मरकज में इसका पालन नहीं किया गया. पुलिस और प्रशासन के कई बार समझाने के बावजूद मरकज में भीड़ बनी रही. लॉकडाउन में एहतियात बरतने के बजाय इसका पालन न करने के लिए कहा गया. मरकज में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बिल्कुल नहीं किया गया और इस तरह से इन लोगों ने मानव जाति को खतरे में डाला. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन मरकज से जुड़े सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. उधर दिल्ली के वजीराबाद की एक मस्जिद में रह रहे तब्लीगी जमात के 15 लोगों को आज क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया.   

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ पर एफआईआर दर्ज की गई है. यह मामला एपेडिमिक डिसीज़ एक्ट, डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट और आईपीसी की धारा 188,259,270,120बी और 271 के तहत दर्ज किया गया है.

इस मामले में कुल सात लोगों पर केस दर्ज किया गया है. यह लोग मौलाना मोहम्मद साद, मोहम्मद असरफ, मुफ़्ती शहजाद, मोहम्मद जीशान, मुर्सलीन सैफी, मोहम्मद सलमान और यूनुस हैं. शिकायतकर्ता निज़ामुद्दीन थाने के एसएचओ मुकेश वलियान की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है.

एफआईआर के मुताबिक शिकायतकर्ता ने बताया कि कोविड 19 के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 12 मार्च को ही एडवाइजरी जारी कर थी, जिसमें एडवाजरी का पालन न करने वालों के खिलाफ आईपीसी के 188 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार था. यह एडवाइजरी एक महीने के लिए जारी की गई थी. इसके बाद 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने फिर से एडवाइजरी जारी की थी कि दिल्ली में किसी भी तरह के कार्यक्रम 50 से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते. यह आदेश भी 31 मार्च तक के लिए था. 

दिल्ली पुलिस ने 21 मार्च को मरकज़ के एक मौलाना मोहम्मद शहजाद से संपर्क करके कोरोना वायरस से पैदा हुए खतरे के बारे में बताया और विदेशी नागरिकों को वापस भेजने के लिए कहा. दूसरे भारतीयों को भी उनके घर भेजने के लिए कहा. लेकिन किसी ने दिल्ली पुलिस के आदेश का पालन नहीं किया.

21 मार्च को ही व्हाट्सऐप पर मौलाना मोहम्मद साद का एक ऑडियो सामने आया जिसमें वह अपने फॉलोअर्स से कह रहा है कि हमें लॉकडाउन के किसी नियम का पालन नहीं करना है. इसके बाद 24 मार्च को भारत सरकार ने पूरे भारत में 21 दिन के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया. दिल्ली में 24 मार्च को धारा 144 लागू कर दी गई थी.

पुलिस की मरकज़ के मौलाना के साथ कोरोना के खतरे को लेकर कई मीटिंग हुईं और उसे समझाया गया लेकिन मरकज़ की प्रबंधन कमेटी ने मरकज़ के अंदर इतनी ज्यादा भीड़ है, इसके बारे में दिल्ली सरकार, उसके स्वास्थ्य विभाग या किसी दूसरी सरकारी एजेंसी को नहीं बताया. ये लोग जानबूझकर लॉकडाउन और सरकारी आदेशों की अवहेलना करते रहे.

एसीपी लाजपत नगर ने 24 मार्च को उन्हें नोटिस जारी किया लेकिन उन लोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया. एसडीएम डिफेंस कॉलोनी ने 26,27,28,29 और 30 मार्च को लगातार मरकज़ का दौरा किया. मरकज़ में 1300 से ज्यादा लोग पाए गए. वे सरकार के दिशानिर्देशों जैसे मास्क पहनना, सैनिटाइजर से हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बिल्कुल नहीं कर रहे थे. इस तरह से इन लोगों ने मानव जाति को खतरे में डाला. इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

उधर दिल्ली के वजीराबाद की एक मस्जिद में रह रहे तब्लीगी जमात के 15 लोगों को आज क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया. उनको पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट की मदद से बस से ITO के पास एक स्कूल में क्वॉरंटाइन के लिए भेजा गया. ये लोग निजामुद्दीन मरकज़ से इस मस्जिद में आए थे. इन लोगों में 12 इंडोनेशियन और तीन भारतीय हैं.

ये लोग 21 मार्च को तब्लीगी जमात से इस मस्जिद में आ गए थे. बाद में एक अप्रैल की रात में पुलिस वजीराबाद जामा मस्जिद पहुंच गई. वहां डीएम ने इनको इसी मस्ज़िद में क्वारंटाइन के लिए बोल दिया था. लेकिन आज इनको इस मस्ज़िद से निकालकर ITO स्कूल में क्वारंटाइन के लिए ले जाया गया.

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