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This Article is From Apr 13, 2020

प्राइवेट लैब में कोरोना के फ्री टेस्ट के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने किया संशोधन, सिर्फ गरीबों को होगा इसका फायदा

COVID-19 का नि: शुल्क परीक्षण सरकार द्वारा अधिसूचित समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के किसी भी अन्य वर्ग के लिए हो सकता है.

Coronavirus: अदालत ने एक हफ्ते में दिशानिर्देश जारी करने को कहा है

नई दिल्ली:

Coronavirus: प्राइवेट लैब में कोरोनावायरस के फ्री टेस्ट के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने संशोधन किया है. COVID -19 के लिए नि:शुल्क परीक्षण भारत सरकार द्वारा पहले से ही लागू आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र व्यक्तियों के लिए उपलब्ध होगा. COVID-19 का नि: शुल्क परीक्षण सरकार द्वारा अधिसूचित समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के किसी भी अन्य वर्ग के लिए हो सकता है.

कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस बात पर विचार कर सकता है कि क्या समाज के कमजोर वर्गों की कोई अन्य श्रेणियां जैसे अनौपचारिक क्षेत्रों में निम्न आय वर्ग से संबंधित श्रमिक, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लाभार्थी, आदि के अलावा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कवर किए गए लोग भी नि:शुल्क परीक्षण के लाभ के लिए पात्र हो सकते हैं और उपरोक्त संबंध में एक सप्ताह की अवधि में उचित दिशा-निर्देश भी जारी किए जाएं.

अदालत ने कहा कि निजी लैब COVID-19 के परीक्षण के लिए उन व्यक्तियों से भुगतान लेना जारी रख सकती हैं जो ICMR द्वारा तय किए गए परीक्षण शुल्क का भुगतान करने में सक्षम हैं. भारत सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय निजी लैब द्वारा किए गए COVID-19 के नि: शुल्क परीक्षण की लागत की प्रतिपूर्ति के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकता है और खर्चों को कम करने के लिए आवश्यक तंत्र और निजी लैबों को प्रतिपूर्ति कर सकता है. केंद्र सरकार उपरोक्त सभी को उचित प्रचार देगी ताकि दिशानिर्देश के तहत सभी पात्र लोगों को ये सुविधा मिल सके.

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