Noida Corona Cases: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अब अस्पतालों की हालत डगमगाने लगी है. अस्पतालों में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. कई अस्पतालों में मरीजों को ना दवा मिल रही है और ना ही जरूरी सुविधाएं. महामारी के आगे अस्पतालों की सारी तैयारी का दम निकलता दिख रहा है. दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर की बात करें तो यहां भी कोरोना ने तबाही मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. ऐसे में यहां के अस्पतालों पर लगातार दबाव भी बढ़ रहा है. रोजाना बढ़ते मामलों से अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है. एनडीटीवी ने जब गौतमबुद्ध नगर में मेडिकल सुविधाओं का हाल जानने की कोशिश की तो रुला देने वाली तस्वीरें सामने आईं.
गौतमबुद्ध नगर का शारदा अस्पताल कोविड मरीजों का इलाज कर रहा है. लेकिन यहां की व्यवस्था बेपटरी हो चली है. अस्पताल में मरीज बुनियादी सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं. शारदा अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि मरीज के भर्ती हो जाने के बाद उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है. पूरे दिन नर्स मरीज के पास आती ही नहीं. इतना ही नहीं डॉक्टर भी मरीज का हाल जानने नहीं आ रहे.
वहीं अस्पताल प्रशासन की मानें तो उनके कई स्टॉफ कोरोना से संक्रमित हैं. शारदा अस्पताल का लगभग 30 फीसदी स्टॉफ कोरोना संक्रमित हो चुका है. ऐसे में इन स्टॉफ के लौटने तक अस्पताल में असुविधा होना लाजमी है.
कल प्लाज्मा मांगा आज हो गई पत्नी की मौत
शारदा अस्पताल में कोरोना संक्रमित पत्नी का इलाज कराने आए एक युवक ने रो-रो कर अपना दर्द बयां किया. पीड़ित ने बताया कि उसकी पत्नी कोरोना संक्रमित थी. हालत बिगड़ने पर अस्पताल की ओर से प्लाज्मा की व्यवस्था करने के लिए कहा गया. सारी कोशिशों के बाद भी पीड़ित अपनी पत्नी की जान नहीं बचा सका. आज सुबह उसकी मौत हो गई. पीड़ित ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
दवा नहीं दी जा रही.. कोई केयर नहीं है
ऐसे ही अस्पताल में भर्ती एक और मरीज के भाई ने भी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है. पीड़ित ने कहा कि कोरोना संक्रमित होने पर उसने अपने भाई को यहां भर्ती कराया. अस्पताल में स्टाफ की बहुत शार्टेज है. कल से कोई नर्स नहीं आई है. दवा नहीं दी जा रही ना कोई केयर कर रहा है.
अस्पताल ने दी ये सफाई
शारदा मेडिकल कॉलेज के प्रो चांसलर वाई के गुप्ता से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्टॉफ के शॉर्टेज का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती ऑक्सीजन कि है. नया टैंक बनाया गया है. ये समस्या दो तीन दिन में हल हो जाएगी. दूसरी दिक्कत डाक्टर और नर्स लगातार संक्रमित हो रहे हैं, जिससे केयर करने में दिक्कत हो रही है. तीस फीसदी स्टाफ संक्रमित है, वो जब लौट कर आएंगे तो अस्पताल और ज्यादा केयर कर सकता है. अस्पताल में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी डा. अविनाश गुप्ता ने कहा कि हम लोगों के पास सिवियर मरीज ज्यादा आ रहे हैं. अगर मरीज पहले आ जाए तो उसे इलाज से आसानी से ठीक किया जा सकता है. मरीज को इंतजार नहीं करना चाहिए, टेस्ट कराकर तुरंत दवा शुरू करनी चाहिए.
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