कोर सेक्टर में औद्योगिक उत्पादन औंधे मुंह गिरा है. यह मार्च में 4.3 फीसदी रहा है, जो पिछले साल इसी अवधि 10.4 फीसदी रही थी. कोर सेक्टर यानी बुनियादी ढांचे से जुड़े आठ क्षेत्रों में आर्थिक विकास दर 4.3 फीसदी दर्ज की गई है, यह गिरावट मुख्य तौर पर कोयला औऱ कच्चे तेल के उत्पादन में दिखी है. कोयला और कच्चा तेल में मार्च में उत्पादन वृद्धि दर -0.1 फीसदी और 3.4 फीसदी रही. हालांकि पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोर सेक्टर में 10.4 वृद्धि दर दर्ज की गई है.
बुनियादी ढांचे के आठ क्षेत्र कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफायनरी उत्पाद, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट और बिजली क्षेत्र (coal, crude oil, natural gas, refinery products, Fertiliser, steel, cement and electricity) हैं. जबकि फरवरी में इनमें 6 फीसदी की वृद्धि दर रही थी. अप्रैल-मार्च 2021-22 के दौरान ये आठ सेक्टर 10.4 फीसदी की दर से बढ़े, जबकि वर्ष 2020-21 के दौरान इनमें 6.4 फीसदी की ऋणात्मक विकास रहा.
समीक्षाधीन माह के दौरान प्राकृतिक गैस, इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में वृद्धि 7.6 प्रतिशत, 3.7 प्रतिशत, 8.8 प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत रही, जबकि 12.3 प्रतिशत, 31.5 प्रतिशत, 40.6 प्रतिशत थी. और मार्च 2021 में क्रमशः 22.5 प्रतिशत, आंकड़ों से पता चला. इस साल मार्च में रिफाइनरी उत्पाद और उर्वरक उत्पादन में क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 15.3 प्रतिशत की वृद्धि रही.आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मार्च 2022 में कोर सेक्टर की वृद्धि की गति धीमी होकर 4.3 प्रतिशत हो गई, जिसमें आठ में से पांच सेक्टर में मंदी थी.
गौरतलब है कि भारत के 12 से ज्यादा राज्य इस वक्त बिजली और कोयला संकट झेल रहे हैं. इस कारण कई राज्यों में बिजली की कटौती की जा रही है. इसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई ज्यादातर उत्तर भारतीय राज्य शामिल हैं. महाराष्ट्र में भी संकट गंभीर है.
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