महंगाई की मार से आदमी को राहत मिलती नहीं दिख रही. पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के बाद अब रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजों के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं. रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों के दाम बढ़ने से रसोई का बजट बिगड़ रहा है. खाने में इस्तेमाल होने वाले सरसों के तेल में तेजी देखी जा रही है. दिल्ली के रिटेल मार्केट में 21 अक्टूबर को सरसों तेल की कीमत 190 रुपये प्रति लीटर थी जो एक नवम्बर को बढ़कर 208 रुपये प्रति लीटर हो गई. इस हिसाब से पिछले 10 दिनों में सरसों तेल 18 रुपये महंगा हुआ. इस दौरान, पैक्ड वनस्पति तेल 140 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 154 रुपये प्रति लीटर का हो गया यानी इसकी कीमत में 14 रुपया का इजाफा हुआ है.
पिछले दिनों खबर आई थी कि केंद्र के उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने खाद्य तेल की कीमतों में कमी सुनिश्चित करने के लिए फिर से राज्यों को पत्र लिखा है. त्योहारी सीजन के मद्देनजर खाद्य तेल की कीमतों को कम करने के लिए केंद्र द्वारा कदम उठाए गए थे लेकिन इसका असर वास्तविकता में नजर नहीं आ रहा. केंद्र ने गत 10 अक्टूबर को घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए, कुछ आयातकों और निर्यातकों को छोड़कर, खाद्य तेलों और तिलहनों के व्यापारियों पर 31 मार्च तक के लिए भंडारण सीमा तय कर दी थी. इसके साथ ही राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को अपने यहां उपलब्ध भंडार और खपत के पैटर्न को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों और तिलहन पर लगाए जाने वाले भंडार की सीमा तय करने के लिए कहा गया था.
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