संसद भवन परिसर (Parliament complex) में 18वीं लोकसभा के सदस्य जब शपथ लेंगे तब वहांअलग ही तरह का नजारा देखने को मिलेगा. संसद भवन परिसर में न केवल महात्मा गांधी, बाबासाहेब आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमाएं अब अपने निर्धारित स्थानों पर नहीं रहेंगी, बल्कि परिसर में संसद सुरक्षा कर्मियों की जगह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तैनाती भी की जाएगी. संसद परिसर में किए जा रहे पहले बदलाव से जहां खास तौर पर कांग्रेस (Congress) नाराज हो गई है, वहीं दूसरे बदलाव से सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है.
लोकसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा है कि प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर के पीछे की ओर एक नए स्थान पर ले जाया जाएगा, जिसे प्रेरणा स्थल कहा जाएगा.
संसद भवन परिसर की लैंडस्कैपिंग की योजना की घोषणा करते हुए लोकसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा है कि, "संसद परिसर में देश के महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं परिसर के विभिन्न हिस्सों में स्थापित की गई थीं. संसद परिसर में अलग-अलग स्थानों पर स्थित होने के कारण आगंतुक इन प्रतिमाओं को आसानी से नहीं देख पाते थे. इस कारण इन सभी प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर में ही एक भव्य प्रेरणा स्थल में सम्मानपूर्वक स्थापित किया जा रहा है."
विपक्ष ने जताया विरोध
अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद केएल शर्मा ने प्रतिमाओं को हटाए जाने की तस्वीरें पोस्ट कीं.
संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब अंबेडकर जी की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है। यह बेहद घटिया और ओछी हरकत है।
— Team Kishori Lal Sharma Amethi (@KLSharmaAmethi) June 6, 2024
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उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा- ''संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब अंबेडकर जी की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है. यह बेहद घटिया और ओछी हरकत है.''
महात्मा गांधी की 16 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा एक ऐसा प्रतिष्ठित स्थान बन गई थी जहां विपक्षी सांसद वर्षों से विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं.
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने लोकसभा सचिवालय के इस कदम पर रोष जताते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा- ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं को हाल में संसद भवन के सामने स्थित उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है. यह अनुचित है.''
Statues of Chhatrapati Shivaji Maharaj, Mahatma Gandhi, and Dr. Babasaheb Ambedkar have just been removed from their places of prominence in front of the Parliament House. This is atrocious. pic.twitter.com/NA12QjCBAK
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 6, 2024
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, महाराष्ट्र के मतदाताओं ने बीजेपी के लिए वोट नहीं डाला तो शिवाजी और आंबेडकर की प्रतिमाएं संसद में उनके मूल स्थान से हटा दी गईं. उन्होंने कहा कि भाजपा को गुजरात में सभी 26 सीट पर जीत नहीं मिली तो उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को मूल स्थान से हटा दिया. खेड़ा ने लिखा कि, ‘‘सोचिए. अगर इन्हें 400 सीट मिल जातीं तो क्या ये संविधान को बख्शते.''
सीपीआई के नेता डी राजा ने भी इस कदम की निंदा की और इसे "मनमाना और एकतरफा" बताया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, "संसद भवन में सभी प्रतिमाएं उन व्यक्तियों के सम्मान में बनाई गई हैं जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है."
लोकसभा सचिवालय ने दी सफाई
इस पर लोकसभा सचिवालय ने सफाई दी. उसने एक बयान में कहा कि, 'संसद भवन परिसर लोकसभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है तथा परिसर के अंदर पूर्व में भी माननीय लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से प्रतिमाओं का स्थानांतरण किया गया है.'
बयान में कहा गया है कि, 'यह स्पष्ट है कि संसद भवन परिसर से किसी भी महापुरुष की प्रतिमा को हटाया नहीं गया है बल्कि उन्हें संसद भवन परिसर के अंदर ही व्यवस्थित एवं सम्मानजनक रूप से स्थापित किया जा रहा है.'
विपक्ष ने नए अध्यक्ष के कार्यभार संभालने से पहले जल्दबाजी किए जाने पर सवाल उठाया है.
संयुक्त सुरक्षा समिति का गठन हो
इस बीच कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने कहा कि संसद के सुरक्षाकर्मियों को बदलने का कदम "संसद की स्वायत्तता पर हमला" है. उन्होंने एक संयुक्त सुरक्षा समिति के गठन की मांग की है.
टैगोर ने कहा कि, "शाह सीआईएसएफ जवानों के जरिए संसद को नियंत्रित करना चाहते हैं. चुनाव के दौरान 450 संसदीय सुरक्षा कर्मियों को उनकी ड्यूटी से मुक्त किया जा रहा है. नए अध्यक्ष का पहला काम एक संयुक्त सुरक्षा समिति का गठन करना होना चाहिए अन्यथा हमें भविष्य में चंडीगढ़ हवाई अड्डे जैसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं." उन्होंने गुरुवार को चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर सीआईएसएफ के एक कांस्टेबल द्वारा नई सांसद कंगना रनौत को थप्पड़ मारने की घटना की ओर इशारा करते हुए यह बात कही.
संसद परिसर में चार इमारतों का एकीकरण
इस महीने जब 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होगा तो संसद परिसर नए स्वरूप में नजर आएगा. संसद परिसर के अंदर चार इमारतों को मिलाकर एकीकरण का काम जारी है. आदिवासी नेता बिरसा मुंडा और महाराणा प्रताप की प्रतिमाएं भी पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय के बीच लॉन में लगाई गई हैं. अब सभी प्रतिमाएं एक ही जगह पर होंगी.
बाहरी क्षेत्र के पुनर्विकास के तहत, महात्मा गांधी, शिवाजी और महात्मा ज्योतिबा फुले सहित राष्ट्रीय महापुरुषों की प्रतिमाओं को पुराने संसद भवन के गेट नंबर 5 के पास एक लॉन में स्थानांतरित करने की योजना है, जिसे संविधान सदन नाम दिया गया है. इससे नए संसद भवन के गजद्वार के सामने एक विशाल लॉन का निर्माण हो सकेगा, जिसका उपयोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा नए भवन में प्रवेश करने के लिए किया जाएगा. इस लॉन का इस्तेमाल बजट सत्र के दौरान संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण जैसे आधिकारिक समारोहों के लिए भी किया जा सकता है.
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