संविधान का आदर करें युवा: जस्टिस चेलमेश्वर (फाइल फोटो)
बेंगलुरू:
सु्प्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने युवाओं से लोक नीति के सबसे बड़े दस्तावेज-‘भारतीय संविधान’ का आदर करने के लिए आज कहा. भारतीय संविधान को देश के लिए बड़ी कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने तैयार किया था.
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न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी लोक नीति भारतीय संविधान खुद है और जिस केंद्र ने उसे तैयार किया वह है संविधान सभा.’’
उन्होंने कहा कि संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य के व्यापक ज्ञान और इसके सदस्यों के बड़े अनुभव ने संवैधानिक दस्तावेज को समृद्ध बनाया. इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि देश का राजनीतिक भविष्य कैसा होना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि दस्तावेजों में प्रत्येक शब्द अपना अनुभव और ज्ञान दर्शाता है. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के उन चार सीनियर जजों में से एक हैं जिन्होंने हाल ही में मामलों के आवंटन समेत कई समस्याओं को उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ बगावत कर दी थी.
वह यहां एक शैक्षणिक संस्थान में एक विभाग के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि जरुरत के अनुसार समय-समय पर संविधान में संशोधन किया गया.
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न्यायमूर्ति चेलमेश्वर को अदालत में संन्यासी बताते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया ने कहा, ‘‘न्याय, सच और साहस उनकी आत्मा के साथी हैं. उनके व्यक्तित्व के आयामों का आकलन करना असंभव है.’’ (इनपुट भाषा से)
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न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी लोक नीति भारतीय संविधान खुद है और जिस केंद्र ने उसे तैयार किया वह है संविधान सभा.’’
उन्होंने कहा कि संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य के व्यापक ज्ञान और इसके सदस्यों के बड़े अनुभव ने संवैधानिक दस्तावेज को समृद्ध बनाया. इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि देश का राजनीतिक भविष्य कैसा होना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि दस्तावेजों में प्रत्येक शब्द अपना अनुभव और ज्ञान दर्शाता है. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के उन चार सीनियर जजों में से एक हैं जिन्होंने हाल ही में मामलों के आवंटन समेत कई समस्याओं को उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ बगावत कर दी थी.
वह यहां एक शैक्षणिक संस्थान में एक विभाग के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि जरुरत के अनुसार समय-समय पर संविधान में संशोधन किया गया.
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न्यायमूर्ति चेलमेश्वर को अदालत में संन्यासी बताते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया ने कहा, ‘‘न्याय, सच और साहस उनकी आत्मा के साथी हैं. उनके व्यक्तित्व के आयामों का आकलन करना असंभव है.’’ (इनपुट भाषा से)
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