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This Article is From Jan 08, 2019

आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल लोकसभा में पेश : क्या चुनाव-2019 में मिलेगा मोदी सरकार को फायदा

सूत्रों के अनुसार, यह कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा. सामान्य वर्ग को अभी आरक्षण हासिल नहीं है.  

आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल लोकसभा में पेश : क्या चुनाव-2019 में मिलेगा मोदी सरकार को फायदा
नई दिल्ली:

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान 124वां संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया है. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को ही इसे मंजूरी प्रदान की है. विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी.  उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी.  सूत्रों के अनुसार, यह कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा. सामान्य वर्ग को अभी आरक्षण हासिल नहीं है.  समझा जाता है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है. आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और 5 एकड़ तक जमीन होगी.

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किसे मिलेगा लाभ

  1. सालाना 8 लाख आमदनी या 5 एकड़ से कम खेती वाले सामान्य वर्ग को भी आरक्षण सुविधा दी जाए. 
  2. आरक्षण बिल अगर पास हो गया तो इसका लाभ लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा.    
  3. इसके अलावा गरीब ईसाइयों और मुस्लिमों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
  4. आरक्षण का लाभ लेने के लिए नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए. 
  5. आरक्षण का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भी देना होगा.

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क्या चुनाव में होगा मोदी सरकार को फायदा
माना जा रहा है चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने बड़ा चुनावी दांव चल दिया है. दरअसल एससी/एसटीए एक्ट में संंशोधन बिल लाकर अपने कोर वोट बैंक सवर्णों को नाराज कर चुकी बीजेपी के पास यही एक आखिरी रास्ता बचा था. हालांकि गरीब सवर्णों को आरक्षण की बात काफी सालों से हो रही थी. और इस बिल के विरोध में शायद ही कोई बड़ी पार्टी खड़ी हो पाए क्योंकि कई सीटों पर सवर्णों की आबादी समीकरण बना और बिगाड़ सकती है. यही वजह है कांग्रेस और मायावती भी इस बिल के समर्थन में खड़े हैं. हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध किया है.

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