डीके शिवकुमार यानी डोड्डालाहल्ली केम्पेगौडा शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. राज्य में कांग्रेस के सबसे दमदार नेताओं में उनकी गिनती होती है. डीके शिवकुमार सन 1989 से विधायक रहे हैं और कई बार मंत्री भी रहे हैं. डीके शिवकुमार जहां राजनीतिक दांवपेंच में माहिर रहे हैं वहीं वे भ्रष्टाचार के आरोपों से भी हमेशा घिरे रहे हैं. पिछली बार कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार गिराने से लेकर कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन सरकार के गठन तक में उनकी प्रमुख भूमिका थी.
डीके शिवकुमार के राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुत दिलचस्प रही है. उन्होंने पहला चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के खिलाफ लड़ा था. हालांकि चुनाव में देवगौड़ा जीते थे, लेकिन शिवकुमार को इससे पहचान जरूर मिली. देवेगौड़ा दो सीटों से चुनाव जीते थे. उन्होंने साथानुर की सीट छोड़ दी और उपचुनाव में डीके शिवकुमार जीत गए.
डीके शिवकुमार कर्नाटक में अलग-अलग समय पर मंत्री के रूप में सिंचाई, चिकित्सा शिक्षा, ऊर्जा, शहरी विकास, गृह आदि विभाग संभालते रहे हैं. डीके शिवकुमार को जहां कांग्रेस पार्टी का कर्नाटक का पावरहाउस माना जाता है. वहीं वे शंथिनगर हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, अवैध खनन मामले सहित भ्रष्टाचार के कई मामलों में आरोपों से घिरे रहे हैं.
डीके शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर नेताओं में से एक हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए दखिल किए गए नामांकन पत्रों से पता चला था कि वे राज्य के दूसरे सबसे अमीर उम्मीदवार थे. उन्होंने घोषणा की थी कि उनके पास 840 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
15 मई 1962 को जन्मे डीके शिवकुमार अपने कॉलेज के दिनों में छात्र संघ के सचिव चुने गए थे. सन 2018 के चुनाव में वे कनकपुरा सीट से जीते थे. उन्हें सिंचाई और चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनाया गया था. साल 2013 में वे साथनुर से विधायक चुने गए थे. उन्हें सिद्धारमैया की सरकार में ऊर्जा मंत्री बनाया गया था. साल 2004 के विधानसभा चुनाव में भी वे साथनूर से जीते थे. उन्हें शहरी विकास मंत्रालय और कर्नाटक राज्य टाउन प्लानिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था.
डीके शिवकुमार को 1989 में बैंगलोर ग्रामीण जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे. इससे पहले 1987 में उन्होंने साथनूर विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और 27 साल की उम्र में विधायक बन गए थे.
शिवकुमार ने 80 के दशक में बेंगलुरू में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की थी. इसके बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. शिवकुमार मुख्यमंत्री बंगारप्पा के नेतृत्व वाली सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने थे.
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