हरियाणा विधानसभा चुनाव में हैट-ट्रिक की उम्मीद लगाए बीजेपी के सपने धराशायी होते नजर आ रहे हैं. शनिवार को वोटिंग खत्म होने के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स में कांग्रेस के बंपर बहुमत के साथ सत्ता में आने की भविष्यवाणी की गई है. इन पोल्स की माने तो कांग्रेस को 50 से 60 सीटें तक मिल सकती हैं. हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका है. लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर सिमटी बीजेपी का अब राज्य से भी सूपड़ा साफ हुआ है. अगर इन एग्जिट पोल्स के नतीजों पर यकीन करें, तो एक बात बिल्कुल साफ दिख रही है कि जाटों ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है. दूसरी बात बीजेपी गैर-जाट और ओबीसी वोटरों को अपने साथ बांधे रखने में कामयाब नहीं हो पाई है.
क्षेत्रीय दलों का असर कम हो गया
एग्जिट पोल दिखा रहे हैं कि देवीलाल और उनके वशंजों की पार्टी का बुरा हाल हुआ है. इनेलो और जेजेपी के लिए यह सोचने का वक्त है. जाट वोट में सेंध लगाने वाले वाले देवीलाल के लाल उनकी चौधर नहीं बचा पा रहे हैं.
जाट बंटे नहीं, कांग्रेस के साथ हुए एकजुट
एग्जिट पोल के नतीजे दिखा रहे हैं जाट पूरी तरह से कांग्रेस के साथ लामबंद हो गए हैं. बीजेपी को इसी बात का डर सबसे ज्यादा सता रहा था. हरियाणा में जाट वोटर सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस बार भी कुछ ऐसा होता हुआ ही नजर आ रहा है.
किसान और पहलवान का मुद्दे बीजेपी को भारी पड़ गए
एक्जिट पोल जिस तरह से हरियाणा में कांग्रेस की आंधी बता रहे हैं उससे यह साफ है कि किसान और पहलवानों का मुद्दा बीजेपी को भारी पड़ा है. किसान लगातार हरियाणा में एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. वहीं, कुछ पहलवान भी इस बार केंद्र सरकार से नाराज थे. कुछ किसान तो बीजेपी के खिलाफ चुनाव मैदान में भी उतरे हैं.
विनेश और बजरंग का कांग्रेस का दांव सटीक पड़ा
कांग्रेस ने हरियाणा के वोटों की नब्ज सही पकड़ी है. वीनेश को कांग्रेस ने चुनाव के ऐन मौके पर लपका उससे उसकी रणनीति सही साबित होते हुई दिख रही है. हरियाणा में पहलवानों के साथ एक बड़ा तबका खड़ा नजर आ रहा था, अब वो वोटों में तब्दील होता नजर आ रहा है.
गैरजाट और ओबीसी बीजेपी के हाथ से फिसल गए
गैर जाट को ओबीसी को बीजेपी फिर साध नहीं पाई. पिछले दो चुनावों में यही उसकी ताकत थे, जिसने उसको कुर्सी तक पहुंचाया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह ट्रेंड दिखा था. ओबीसी का बीजेपी के हाथ से छिटकना पार्टी के लिए बड़ा झटका है.
दलित, जाट और ओबीसी का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के साथ
हरियाणा में नया सामाजिक समीकरण को तोड़ने में भी बीजेपी को अब बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. दलित, जाट और ओबीसी कांग्रेस के साथ पूरी तरह से लामबंद है.
ओबीसी मुख्यमंत्री का दांव फेल रहा?
बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था. लेकिन उसका यह दांव नहीं चल पाया. एग्जिट पोल के रुझान ये बता रहे हैं कि बीजेपी के साथ न ओबीसी आया और न ही जाट. रुझान इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि दलित वोट भी बीजेपी के खाते से छिटक गया है.
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