कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने न तो पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है और न ही उनके दल ‘जन अधिकार पार्टी' का विलय हुआ है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यादव के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह दावा किया. शर्मा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया है. उन्होंने पटना में सदस्यता पर्ची भी नहीं ली जो बिहार से पार्टी में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को लेनी पड़ती है.''
उनका ध्यान दिल्ली में पूर्व में आयोजित प्रेसवार्ता की ओर आकर्षित किया गया, जहां एआईसीसी के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश और मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा द्वारा यादव का पार्टी में स्वागत किया गया और उनकी जन अधिकार पार्टी के विलय की घोषणा की गई. इस पर, शर्मा ने उत्तर दिया, ‘‘बहुत से लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्नैक्स खाने आते हैं और मैं जो कहना चाह रहा हूं वह यह है कि प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई.''
यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य हैं और वह खुद को ‘‘आखिरी सांस तक कांग्रेस, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा का सिपाही'' बताती रही हैं. ऐसी चर्चाएं रही हैं कि राजद के दबाव में यादव को कांग्रेस का टिकट नहीं दिया गया और पूर्णिया सीट से राजद ने जदयू से पाला बदलकर आयीं बीमा भारती को चुनावी मैदान में उतारा था.
हालांकि, शर्मा ने इन अटकलों को खारिज करते हुए दावा किया, ‘‘राजद की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है. हर जगह की तरह कांग्रेस ने बिहार में अपने उम्मीदवारों को चुना. हमारा गठबंधन बिहार में 30 से अधिक सीटें जीतेगा जिसमें कांग्रेस के सीटों की संख्या लगभग छह से सात रहेगी.'' बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से ‘इंडिया' गठबंधन में शामिल राजद 23 पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस ने नौ, भाकपा माले एवं विकासशील इंसान पार्टी ने तीन-तीन तथा भाकपा एवं माकपा ने एक-एक सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं .
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