दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि, कांग्रेस तय करे कि वह संविधान और देश के 140 करोड़ लोगों के साथ है या मोदी जी के साथ है. दिल्ली में नौकरशाहों के स्थानांतरण और पोस्टिंग पर उपराज्यपाल का नियंत्रण बहाल करने के लिए केंद्र के प्रस्तावित कानून के विरोध में विपक्ष के एकजुट होने के मुद्दे को लेकर उन्होंने यह बात कही. केंद्र ने इसको लेकर अध्यादेश जारी करके सुप्रीम कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है. केंद्र सरकार अब यह बिल संसद में लाने वाली है.
केजरीवाल से सवाल पूछा गया कि, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी तक समर्थन देने की बात नहीं कही है और राज्यसभा में इस अध्यादेश को गिराने में कांग्रेस की अहम भूमिका होगी. तो क्या आपकी कांग्रेस से बातचीत आगे बढ़ी है?
इस पर अरविंद केजरीवाल ने जवाब दिया- ''बढ़ेगी, जरूर बढ़ेगी.. क्यों नहीं बढ़ेगी. हमने उनसे समय मांगा है और हमको उम्मीद है वह समय जरूर देंगे और संसद में इस अध्यादेश को गिराने में मदद भी करेंगे. मैं सोच नहीं सकता कि कोई भी पार्टी इस अध्यादेश के पक्ष में कैसे वोट कर सकती है? और जैसे कि मैंने कहा यह मेरी लड़ाई नहीं है, पूरा देश देख रहा है पूरा देश देखेगा. तो कांग्रेस को यह तय करना है कि वह जनतंत्र, संविधान और देश के 140 करोड़ों लोगों के साथ है या मोदी जी के साथ है.''
दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश को लेकर आज अरविंद केजरीवाल ने रांची में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा, "...यह अध्यादेश मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा. बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत है लेकिन राज्यसभा में नहीं है. इसलिए अगर सभी गैर-बीजेपी दल एकजुट हो जाएं तो इस अध्यादेश को गिराया जा सकता है. यह केवल दिल्ली के बारे में नहीं है, बल्कि देश के संघीय सिद्धांतों के बारे में है..."
इससे पहले गुरुवार को अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने चेन्नई में डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन से मुलाकात की थी.
आम आदमी पार्टी को अब तक इस मुद्दे पर केंद्र के विरोध में कांग्रेस का साथ नहीं मिला है. अरविंद केजरीवाल केंद्र के कदम को अदालत में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा वे अपने समर्थन में राजनीतिक दलों को भी एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. वे पहले कांग्रेस के महाराष्ट्र में सहयोगी उद्धव ठाकरे और अनुभवी नेता शरद पवार सहित कई प्रमुख विपक्षी नेताओं से मिल चुके हैं. केजरीवाल गुरुवार को दक्षिण में कांग्रेस के सहयोगी डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मिले थे.
मुलाकात के बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने अपना संदेश साफ कर दिया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस को इसका समर्थन करना चाहिए. 2024 के चुनावों के लिए एक संयुक्त विपक्ष को लेकर निर्धारित बैठक में विचार किया जा सकता है." केजरीवाल पहले भी कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से उनको अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
हालांकि, केजरीवाल को कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार का समर्थन हासिल हो रहा है. गुरुवार को स्टालिन भी राज्यसभा में केंद्र के बिल को रोकने के लिए समर्थन का वादा करते हुए दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के साथ खड़े हो गए. इसके अलावा केजरीवाल को बिहार के मुख्यमंत्री और विपक्षी एकता के लिए वार्ताकार नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख तेजस्वी यादव सहित वाम दलों का समर्थन भी हासिल है.
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