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This Article is From Aug 20, 2021

विपक्षी गठजोड़ पर फोकस के साथ 15 विपक्षी दलों के साथ सोनिया करेंगी बैठक, BSP-AAP को न्योता नहीं

हाल ही में तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सोनिया गाँधी से मुलाकात कर अगले लोक सभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़े स्तर पर पहल की वकालत की थी.

विपक्षी गठजोड़ पर फोकस के साथ 15 विपक्षी दलों के साथ सोनिया करेंगी बैठक, BSP-AAP को न्योता नहीं
हाल ही में ममता बनर्जी ने मुलाकात कर सोनिया गांधी से विपक्षी दलों की एकजुटता पर पहल का अनुरोध किया था.
नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गाँधी (Sonia Gandhi) शुक्रवार शाम को 4:30 बजे प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक करने जा रही हैं, जिसमें सूत्रों के मुताबिक, लगभग 15 विपक्षी दलों के नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है. प्रमुख विपक्षी नेता NCP अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, DMK अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई अहम नेता इस वर्चुअल बैठक में भाग लेंगे, जबकि इस बार दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) तथा उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) को बैठक के लिए न्योता नहीं भेजा गया है, क्योंकि वे पिछले दिनों राहुल गांधी के नाश्ते के न्योते पर नहीं पहुंचे थे.

बैठक में विपक्ष की एकजुटता को मज़बूत करने और अहम मुद्दों पर एक साझा रणनीति तैयार करने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों में विपक्षी दलों की एकजुट बढ़ाने के विकल्पों पर भी चर्चा की उम्मीद है.

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हाल ही में तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सोनिया गाँधी से मुलाकात कर अगले लोक सभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़े स्तर पर पहल की वकालत की थी. बैठक के लिए मायावती की पार्टी BSP तथा AAP को न्योता नहीं दिया गया है. AAP पहले भी कहती रही है कि वे मुद्दों के आधार पर समर्थन दिया करते हैं, और बैठकों में शामिल होने या नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पेगासस स्पाईवेयर फ़ोन हैक विवाद और नए कृषि कानून को वापस लेने जैसे मसलों पर प्रमुख विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई थी. सोनिया गाँधी की बैठक को इस एकजुटता को और मज़बूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

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