लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्ष नियमित रूप से केंद्र पर निशाना साध रहा है. इसी बीच अग्निपथ योजना पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, "हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि किस के कहने पर अग्निपथ योजना को शुरू किया गया है?" उन्होंने कहा, "न भारतीय सेना और न ही किसी भी राजनीतिक दल ने अपने घोषणा पत्र में इसका वादा किया था तो फिर इस योजना को क्यों लाया गया". आपको बता दें कि सरकार द्वारा 14 जून, 2022 को अग्निपथ योजना की घोषणा की गई थी.
केवल दीपेंद्र हुड्डा ही नहीं बल्कि पूर्व सेवा प्रमुख मनोज नरवणे ने भी अग्निपथ को आश्चर्यचकित कर देने वाला फैसला बताया था. उन्होंने कहा था, "हमारी मांग है कि अग्निपथ योजना को वापस लिया जाए". उन्होंने कहा, "फौज पर राजनीति कर के देश का निर्माण नहीं किया जा सकता है".
इसके अलावा सचिन पायलट ने भी अपने एक बयान में कहा, "हम अपने मेनिफेस्टो में यह बात स्पष्ट तौर पर रखेंगे कि पक्के तरीके से सेना में भर्ती होनी चाहिए. हमने कहा कि हम जब सत्ता में आएंगे तो एमएसपी की लीगल गांरटी के लिए फ्रेमवर्क तैयार करेंगे". उन्होंने कहा, "यह पक्के वाली गारंटी है, जुमले वाली गारंटी नहीं है".
क्या है अग्निपथ योजना
दरअसल, जून 2022 में केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को मंजूरी दी थी. अग्निपथ योजना में सैनिकों को केवल 4 साल के लिए सेना में भर्ती होने का मौका मिलेगा. चार साल की अपनी सेवा के बाद अग्निपथ योजना से सेना में भर्ती होने वाले अग्निवीरों को रिटायरमेंट पर लगभग 12 लाख रुपये मिलेंगे. इससे अग्निवीर भविष्य में खुद के लिए कोई भी काम कर सकते हैं. अग्निपथ योजना के तहत साढ़े 17 से 21 वर्ष तक की आयु के युवा सैनिक में चार साल के लिए भर्ती हो सकते हैं. साथ ही इस योजना के तहत हर बैच से 25 प्रतिशत को 15 और अधिक वर्षों के लिए बनाए रखने की योजना है.
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