राज्य सभा (Rajya Sabha) में कांग्रेस सांसद अहमद पटेल (Ahmed Patel) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से देशभर में चल रहे ऑनलाइन क्लास को विभाजनकारी और मानसिक व वित्तीय बोझ डालने वाला बताया है. शून्य काल में कांग्रेस नेता ने ऑनलाइन क्लास के तनाव की वजह से कुछ राज्यों में छात्रों की आत्महत्या का मामला भी उठाया. उन्होंने कई राज्यों के आंकड़ों के जरिए दावा किया कि देश में अभी भी ऑनलाइन क्लास के लिए उपयुक्त आधारभूत संरचना और वातावरण नहीं है. पटेल ने सरकार से मांग की कि वो सभी राज्य सरकारों को ऑनलाइन क्लास संचालित करने के लिए एक समान दिशा-निर्देश जारी करे. इसके साथ ही एक टास्क फोर्स का गठन हो जो इस बात का अध्ययन करे कि कैसे ऑनलाइन क्लास छात्रों और उनके परिवारों पर गंभीर मानसिक तनाव डाल रही है.
अहमद पटेल ने कहा, "कोरोना महामारी के चलते पिछले 6 महीनों से स्कूल बंद हैं और कई सरकारी और निजी स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रहे हैं, और ज्यादातर मामलों में इसे स्कूल फीस वसूलने के लिये सही ठहराया जा रहा है. यह आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों पर मानसिक और वित्तीय बोझ पैदा कर रहा है. माध्यम वर्गीय परिवारों में बहुतों के पास लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं है और अगर उनके बीच एक स्मार्टफ़ोन है तो आमतौर पर परिवार के कई सदस्य उसे मिलकर प्रयोग करते हैं. डिजिटल इंडिया को अमीर और गरीब के बीच डिजिटल विभाजन का कारण नहीं बनने देना चाहिए."
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कांग्रेस नेता पटेल ने कहा, "गुजरात, दिल्ली, केरल और बंगाल जैसे कुछ राज्यों में छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं के तनाव के कारण आत्महत्या तक कर ली है. 75वें नेशनल सैंपल सर्वे के दौरान पता चला है कि केवल 24% घरों में इंटरनेट का उपयोग हो रहा है और केवल 9% छात्र ही इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं. गुजरात शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के हिसाब से केवल 3% छात्रों के पास लैपटॉप या पीसी था और 4% छात्र असीमित डेटा योजनाओं के साथ स्मार्ट फोन का प्रयोग कर रहे थे."
उन्होंने सदन में कहा, "दिल्ली राज्य का सर्वे बताता है कि राज्य के 80% घरों में लैपटॉप और कंप्यूटर ही नहीं है. तेलंगाना टीचर फेडरेशन के सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि ऑनलाइन पढाई कर रहे छात्रों में 70% छात्र निष्क्रिय हैं. अगर क्षेत्रीय असंतुलन की बात की जाए तो मध्य प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में इंटरनेट की पहुंच गोवा, दिल्ली और हिमाचल की तुलना में कम गुणवत्ता वाली है."
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अहमद पटेल ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने 2017 तक 2.5 लाख ग्राम पंचायत को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का वादा किया था लेकिन अन्य योजनाओं की तरह ये भी बातूनी ही साबित हुई और अब तक केवल 23000 ग्राम पंचायत ब्रॉड बैंड से जुड़ पाई हैं. उन्होंने सदन के जरिए सरकार से मांग की कि एक टास्क फोर्स का गठन हो जो इस बात का अध्ययन करे कि कैसे ऑनलाइन क्लास छात्रों और उनके परिवारों पर गंभीर मानसिक तनाव डाल रही है ?
पटेल ने कहा, "शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव की जगह केंद्र सरकार को गरीब छात्रों को ऑनलाइन क्लास से जुड़ने के लिये सहायता प्रदान करने और उसके लिये वित्तीय व्यवस्था पर काम करना चाहिये." इसके अलावा, केंद्र सरकार को राज्यों से परामर्श के बाद एक राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को तय करना चाहिए जिससे ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के नियम और तरीके तय हो.
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