कांग्रेस (Congress) ने केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं करने के सरकार फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) को सैनिकों और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) काटने के बजाय सेंट्रल विस्टा, बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और फिजूल खर्च पर रोक लगानी चाहिए थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, 'सरकारी कर्मचारियों के भत्तों में कटौती नहीं की जानी चाहिए. मैं मानता हूं कि ऐसे कठिन समय में भी केंद्रीय कर्मचारियों और सैनिकों पर ऐसा फैसला थोपना जरूरी नहीं है.'
वायनाड से कांग्रेस सांसद व पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'मुझे परेशानी वहां दिख रही है कि लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और सेंट्रल विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को रोकने के बजाय सरकार कोरोना से जूझकर जनता की सेवा करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशनर्स और देश के जवानों का महंगाई भत्ता (DA) काट रही है. ये सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय फैसला है. आप मिडिल क्लास से पैसा ले रहे हो लेकिन गरीबों को नहीं दे रहे हो और इसे सेंट्रल विस्टा पर खर्च कर रहे हो.'
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबम ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा कि सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों का DA काटने से पहले बुलेट ट्रेन, सेंट्रल विस्टा जैसी परियोजनाएं रोकनी चाहिए थी. कांग्रेस नेता वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मनीष तिवारी, सुप्रिया श्रीनाते, गौरव वल्लभ, रोहन गुप्ता और प्रवीण चक्रवर्ती ने भी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए और तत्काल इसे वापस लेने की मांग की.
बताते चलें कि मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की तीन अतिरिक्त किश्तों पर रोक लगाने का फैसला लिया है. इसमें इस साल 1 जनवरी से लागू की गई 4 प्रतिशत की महंगाई दर भी शामिल है. हालांकि सरकार ने यह साफ किया है कि कर्मचारियों को वर्तमान दर के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलता रहेगा. महंगाई भत्ते की वर्तमान दर 17 फीसदी है. केंद्र सरकार के इस फैसले का असर 50 लाख कर्मचारियों तथा 61 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा.
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