संसद का पांच दिन तक चलने वाला विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है. सबसे पहले लोकसभा स्पीकर और फिर पीएम मोदी का संबोधन हुआ. इसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन को संबोधित किया.इस दौरान दोनों ही नेताओं ने कई मुद्दों को सदन के सामने उठाया. इसके साथ ही दोनों नेताओं ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कई सवाल भी पूछे.
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नींव के पत्थर दिखते नहीं हैं-खरगे
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमसे बार-बार पूछा जाता है कि 70 साल में आपने क्या किया.उन्होंने कहा कि हमने 70 साल में इस देश के लोकतंत्र को मजबूत किया. नेहरू काल में देश की नींव पड़ी. नींव के पत्थर दिखते नहीं है. विपक्षी गठबंधन INDIA के नाम को लेकर बीजेपी पर हमलावर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नड्डा साहब हमें छोटा करने के लिए गठबंधन का नाम INDI बोलते है.उन्होंने कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता है, हम INDIA हैं.
बदलना है तो अब हालात बदलो
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 18, 2023
ऐसे नाम बदलने से क्या होता है?
देना है तो युवाओं को रोजगार दो
सबको बेरोजगार करके क्या होता है?
दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो
लोगों को मारने से क्या होता है?
कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो
बात-बात पर डराने से क्या होता है?
अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें… pic.twitter.com/VT0rPCKWAp
खरगे ने पूछा-पीएम मणिपुर क्यों नहीं गए?
अपने भाषण में मणिपुर का मुद्दा उठाते हुए खरगे ने कहा कि पीएम यहां-वहां जाते हैं लेकिन मणिपुर नहीं गए. वहीं हर मुद्दे पर बाहर भाषण देने को लेकर भी खरगे ने पीएम मोदी से सवाल किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने 9 साल के कार्यकाल में परंपरागत बयानों को छोड़कर सिर्फ दो बार ही बयान दिया है. उन्होंने पूछा कि क्या यही लोकतंत्र है. जब कि अटलजी ने अपने कार्यकाल में 21 बार और मनमोहन सिंह ने 30 बार बयान दिया था.
'मनमोहन बोलते कम और काम ज्यादा करते थे'
अधीर रंजन ने कहा कि पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद हम पर प्रतिबंध लगाए गए थे, उन प्रतिबंधों को हटाने का काम हमारे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जी ने किया. बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस नता ने कहा कि जिन मनोमोहन पर बीजेपी मौन रहने का आरोप लगाती थी वो मौन नहीं रहते थे. दरअसल वह बात कम और काम ज्यादा करते थे. बीजेपी के वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हुए अधीर रंजन ने कहा कि इसका मतलब होता है कि सबकी चिंताओं को शामिल करना चाहिए, यही तो हम कहते हैं.
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