जयपुर:
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज दो टूक शब्दों में अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि अनुशासनहीनता, निजी महात्वाकांक्षाओं और अहम के कारण हमने ऐसे कई अवसर गंवा दिए, जो हमें देशवासी देना चाहते थे।
सोनिया ने कांग्रेस के दो दिवसीय चिन्तन शिविर में अपने प्रारंभिक भाषण में पार्टीजन से सवाल किया, क्या ऐसा नहीं है कि हमने सिर्फ इस वजह से ऐसे कई अवसर गंवा दिए हैं, जो देशवासी हमें देना चाहते हैं क्योंकि हम एक अनुशासित और संगठित टीम की तरह काम करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन राज्यों में जहां हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमें अपनी निजी महात्वाकांक्षाओं और अहम को भुलाकर फौरन एकजुट होना चाहिए, जिससे पार्टी की जीत हो। हम ये क्यों भूल जाते हैं कि पार्टी की जीत ही हम सबकी जीत है।
सोनिया ने कहा कि हमारी उपलब्धियों का एक भरा पूरा इतिहास है। समाज के सभी वर्ग हमसे जुड़े हैं। हम सभी वर्गों’ के हितों और चिन्ताओं के लिए आवाज बुलंद करते हैं, खासकर कमजोर वर्गों’ जैसे दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और महिलाएं।
उन्होंने कहा कि हमने हमेशा किसानों और खेतिहर मजदूरों के हितों की अगुवाई की है। सबका समावेशी दृष्टिकोण हमारे लिए सिर्फ चुनाव जीतने और सरकार चलाने की कोई राजनीतिक चाल नहीं है। यह समावेश हमारी विचारधारा का संबल है। यह किसी मजबूरी का नतीजा नहीं है, जैसे हमारे कुछ विरोधियों के लिए है।
सोनिया ने कहा कि एकता बड़ी-बड़ी बातों का ऐलान करने से नहीं आती। ये हमारे भीतर से आनी चाहिए। हमारे इस महान संगठन का हर एक कार्यकर्ता आज एकता के लिए परेशान है और हमारा फर्ज बनता है कि हम उसकी यह मांग पूरी करें। उन्होंने कहा कि हमें सभी स्तरों पर नेतृत्व का विकास करना है। ऐसा नेतृत्व जो प्रभावी हो, आगे बढ़ने से न डरें और लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाएं। पार्टी में अच्छा काम करने वालों को अपने काम के बल पर ऊपर बढ़ने के अवसर मिलने चाहिएं, किसी की छत्रछाया में नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जयपुर का ये शिविर पंचमढ़ी और शिमला में हुई बैठकों से दो तरह से अलग है। पहली बात तो ये कि हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं जब हम केन्द्र में करीब नौ साल से सरकार में हैं। इसी तरह इस समय हम कई राज्यों में सरकार में नहीं हैं और ऐसे कई राज्यों में कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो हमारे पुराने गढ़ माने जाते हैं। दूसरी बात ये कि पिछले नौ साल में भारी आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव और तकनीक की नई खोज सामने आई हैं। नई अपेक्षाओं की लहर दिखाई दे रही है। इसके लिए नई जवाबदेही की जरूरत है।
शिविर में इस बार बड़ी संख्या में युवाओं की शिरकत पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, इस शिविर में एक और नया आयाम भी साफ दिखायी दे रहा है। यहां हिस्सा लेने वालों में अच्छी खासी संख्या नई पीढ़ी के प्रतिनिधियों की है। इसमें हमारी प्राथमिकता और देश की आबादी के बदले स्वरूप और उसमें युवाओं की सही तस्वीर मिलती है।
कांग्रेस को केन्द्र सहित कई राज्यों में मिल रही चुनौतियों पर सोनिया ने कहा, वैसे हम अब भी देश की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति हैं, लेकिन हमें ये भी स्वीकार करना चाहिए कि हमारे सामने मुकाबला कड़ा है और जो परंपरा से हमारे समर्थन के क्षेत्र थे, वहां दूसरों ने भी अपनी जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में हम लंबे अरसे से सरकार से बाहर हैं लेकिन, मैं मानती हूं कि सिर्फ सत्ता में बने रहना ही हमारी राजनीति का कुल मकसद नहीं है, फिर भी इसका उलटा असर हमारे मनोबल और संगठन पर पड़ता ही है।
गठबंधन के बारे में सोनिया ने कहा कि जिन राज्यों में हमारे गठबंधन हैं, वहां हमें गठबंधन की भावना और पार्टी की दृढ़ता के बीच संतुलन बनाकर चलना है ताकि संगठन को अधिक उर्जा मिल सके।
भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नागरिक सार्वजनिक जीवन के ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार देखकर जायज तौर पर आजिज आ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह ठीक ही है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में फैले भ्रष्टाचार से तंग हैं। ये एक हकीकत है, एक मंथन है, इसे हमें समझना चाहिए। इसका हल निकालकर जवाब देना चाहिए ।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि हम अपने बढ़ते हुए शिक्षित और मध्य वर्ग को भ्रमित होकर राजनीतिक प्रक्रिया से कटकर अलग-थलग होने दें। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि वे शिविर में साफ-साफ और खुलकर अपनी बातें रखें, क्योंकि हम यहां गंभीर चिन्तन के लिए आए हैं, जिससे हमारा भविष्य तय होगा। जब हम यहां से जाएं तो हमारे सामने एक स्पष्ट और पूरा लक्ष्य होना चाहिए। हमें यहां से नई ऊर्जा और ताकत के साथ जाना है और सीधे काम में जुट जाना है।
सोनिया ने कांग्रेस के दो दिवसीय चिन्तन शिविर में अपने प्रारंभिक भाषण में पार्टीजन से सवाल किया, क्या ऐसा नहीं है कि हमने सिर्फ इस वजह से ऐसे कई अवसर गंवा दिए हैं, जो देशवासी हमें देना चाहते हैं क्योंकि हम एक अनुशासित और संगठित टीम की तरह काम करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन राज्यों में जहां हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमें अपनी निजी महात्वाकांक्षाओं और अहम को भुलाकर फौरन एकजुट होना चाहिए, जिससे पार्टी की जीत हो। हम ये क्यों भूल जाते हैं कि पार्टी की जीत ही हम सबकी जीत है।
सोनिया ने कहा कि हमारी उपलब्धियों का एक भरा पूरा इतिहास है। समाज के सभी वर्ग हमसे जुड़े हैं। हम सभी वर्गों’ के हितों और चिन्ताओं के लिए आवाज बुलंद करते हैं, खासकर कमजोर वर्गों’ जैसे दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और महिलाएं।
उन्होंने कहा कि हमने हमेशा किसानों और खेतिहर मजदूरों के हितों की अगुवाई की है। सबका समावेशी दृष्टिकोण हमारे लिए सिर्फ चुनाव जीतने और सरकार चलाने की कोई राजनीतिक चाल नहीं है। यह समावेश हमारी विचारधारा का संबल है। यह किसी मजबूरी का नतीजा नहीं है, जैसे हमारे कुछ विरोधियों के लिए है।
सोनिया ने कहा कि एकता बड़ी-बड़ी बातों का ऐलान करने से नहीं आती। ये हमारे भीतर से आनी चाहिए। हमारे इस महान संगठन का हर एक कार्यकर्ता आज एकता के लिए परेशान है और हमारा फर्ज बनता है कि हम उसकी यह मांग पूरी करें। उन्होंने कहा कि हमें सभी स्तरों पर नेतृत्व का विकास करना है। ऐसा नेतृत्व जो प्रभावी हो, आगे बढ़ने से न डरें और लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाएं। पार्टी में अच्छा काम करने वालों को अपने काम के बल पर ऊपर बढ़ने के अवसर मिलने चाहिएं, किसी की छत्रछाया में नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जयपुर का ये शिविर पंचमढ़ी और शिमला में हुई बैठकों से दो तरह से अलग है। पहली बात तो ये कि हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं जब हम केन्द्र में करीब नौ साल से सरकार में हैं। इसी तरह इस समय हम कई राज्यों में सरकार में नहीं हैं और ऐसे कई राज्यों में कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो हमारे पुराने गढ़ माने जाते हैं। दूसरी बात ये कि पिछले नौ साल में भारी आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव और तकनीक की नई खोज सामने आई हैं। नई अपेक्षाओं की लहर दिखाई दे रही है। इसके लिए नई जवाबदेही की जरूरत है।
शिविर में इस बार बड़ी संख्या में युवाओं की शिरकत पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, इस शिविर में एक और नया आयाम भी साफ दिखायी दे रहा है। यहां हिस्सा लेने वालों में अच्छी खासी संख्या नई पीढ़ी के प्रतिनिधियों की है। इसमें हमारी प्राथमिकता और देश की आबादी के बदले स्वरूप और उसमें युवाओं की सही तस्वीर मिलती है।
कांग्रेस को केन्द्र सहित कई राज्यों में मिल रही चुनौतियों पर सोनिया ने कहा, वैसे हम अब भी देश की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति हैं, लेकिन हमें ये भी स्वीकार करना चाहिए कि हमारे सामने मुकाबला कड़ा है और जो परंपरा से हमारे समर्थन के क्षेत्र थे, वहां दूसरों ने भी अपनी जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में हम लंबे अरसे से सरकार से बाहर हैं लेकिन, मैं मानती हूं कि सिर्फ सत्ता में बने रहना ही हमारी राजनीति का कुल मकसद नहीं है, फिर भी इसका उलटा असर हमारे मनोबल और संगठन पर पड़ता ही है।
गठबंधन के बारे में सोनिया ने कहा कि जिन राज्यों में हमारे गठबंधन हैं, वहां हमें गठबंधन की भावना और पार्टी की दृढ़ता के बीच संतुलन बनाकर चलना है ताकि संगठन को अधिक उर्जा मिल सके।
भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नागरिक सार्वजनिक जीवन के ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार देखकर जायज तौर पर आजिज आ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह ठीक ही है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में फैले भ्रष्टाचार से तंग हैं। ये एक हकीकत है, एक मंथन है, इसे हमें समझना चाहिए। इसका हल निकालकर जवाब देना चाहिए ।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि हम अपने बढ़ते हुए शिक्षित और मध्य वर्ग को भ्रमित होकर राजनीतिक प्रक्रिया से कटकर अलग-थलग होने दें। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि वे शिविर में साफ-साफ और खुलकर अपनी बातें रखें, क्योंकि हम यहां गंभीर चिन्तन के लिए आए हैं, जिससे हमारा भविष्य तय होगा। जब हम यहां से जाएं तो हमारे सामने एक स्पष्ट और पूरा लक्ष्य होना चाहिए। हमें यहां से नई ऊर्जा और ताकत के साथ जाना है और सीधे काम में जुट जाना है।
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